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This Article is From Nov 12, 2016

बंद हुए 500-1000 के नोट! ‘यूपीए’ में राहुल गांधी भी लागू करवा सकते थे यह योजना, लेकिन...

बंद हुए 500-1000 के नोट! ‘यूपीए’ में राहुल गांधी भी लागू करवा सकते थे यह योजना, लेकिन...
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
नई दिल्‍ली: पिछले दो दिनों में एक नाम इंटरनेट पर, कुछ अखबारों और टीवी चैनलों में खूब सुनने को मिल रहा है. यह नाम है अर्थक्रांति संस्था के प्रमुख अनिल बोकिल का. बोकिल पेशे से समाजसेवा में लगे हुए हैं. उनके साथ इंजीनियर और चार्टर्ड अकाउंटेंट की टीम जिन्होंने मिलकर देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और आसान टैक्स सिस्टम की वकालत की है. इन लोगों ने एक प्रपोजल भी बनाया है और वक्त-वक्त पर कई जरूरी लोगों से मिलकर अपनी बात रखते भी रहे हैं.

मंगलवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक ऐलान किया कि मध्यरात्रि से 500 और 1000 रुपये के नोट पूरी तरह से चलन में बंद किए जा रहे हैं. तब सबसे पहले सवाल उठा कि आखिर सरकार ने यह कदम क्यों उठाया. किसके कहने पर उठाया. क्या सरकार की तैयारी पूरी है. ऐसा पहले क्यों नहीं हुआ. क्या पहले ऐसा हुआ. क्या पहले की सरकारों को इसका सुझाव नहीं आया. मीडिया ने लगभग हर तरह के प्रश्नों का उत्तर ढूंढा और रिपोर्टिंग की.

इसमें एक नाम निकलकर सामने आया वह था अनिल बोकिल का और उनकी संस्था अर्थक्रांति का. बोकिल के सहायक अरुण फोके ने एनडीटीवी से बातचीत में यह दावा किया कि सरकार ने यह काम अनिल बोकिल के कहने पर किया है. उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह बोकिल ने आर्थिक सुधारों के लिए अथक प्रयास किए हैं. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्हें जब बीजेपी ने अपना पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था, तब 2013 में बोकिल उनसे मिले थे. मिलने के लिए केवल 9 मिनट का वक्त मुकर्रर था लेकिन बातचीत इतनी गंभीर और रोचक थी कि मोदी ने 2 घंटे से भी ज्यादा देर तक बोकिल की बातें सुनी थीं. उसका परिणाम आज पूरा देश देख रहा है.

वहीं, एनडीटीवी से बात करते हुए अरुण ने बताया कि हम वही प्रस्ताव लेकर कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के पास भी गए थे, लेकिन महज चंद सेकंड में राहुल गांधी ने बात खत्म कर दी थी. बोकिल और उनकी टीम के सदस्य राहुल गांधी से तब मिले थे जब यूपीए सरकार में थी. राहुल गांधी ने साफ कहा था कि उन्हें इस बात की समझ नहीं है और उन्होंने अपने सेक्रेटरी से मिलने के लिए कह दिया था. अर्थक्रांति से जुड़े दिल्ली के मुकेश शर्मा ने इस विषय में एनडीटीवी को बताया कि डॉ मोहन गोपाल जो कि राजीव गांधी फाउंडेशन के डायरेक्टर थे उन्होंने 2012 राहुल गांधी से मुलाकात करवाई थी. राहुल ने अपने सेक्रेटरी कनिष्क सिंह के पास भेज दिया था.

शर्मा ने बताया कि सिंह ने कहा था कि आप अर्थक्रांति को प्रस्ताव से बड़े नोटों को हटाने के प्रस्ताव को समाप्त करने की सलाह दी थी और कहा था कि बाकी सब ठीक है. इस पर बोकिल ने उन्हें कहा था कि हमारी मांगें तो सभी हैं, लेकिन आप जो स्वीकार करना चाहें वो आपके हाथ में हैं. शर्मा ने बताया कि इस पर ज्यादा कुछ हुआ नहीं.

प्रपोजल में क्या थे सुझाव...
- इंजीनियरों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की इस संस्था ने अपने प्रपोजल में कहा था कि इंपोर्ट ड्यूटी छोड़कर 56 तरह के टैक्स वापस लिए जाएं. बड़ी करेंसी 1000, 500 और 100 रुपये के नोट वापस लिए जाएं.
- सभी तरह के बड़े ट्रांजेक्शन सिर्फ बैंक के जरिए चेक, डीडी और ऑनलाइन हों.
- कैश ट्रांजेक्शन के लिए लिमिट फिक्स की जाए. इन पर कोई टैक्स न लगाया जाए.
- सरकार के रेवेन्यू जमा करने का एक ही बैंक सिस्टम हो. क्रेडिट अमाउंट पर बैंकिंग ट्रांजेक्शन टैक्स (2 से 0.7%) लगाया जाए.

प्रपोजल के खास प्वाइंट
- फिलहाल देश में 2.7 लाख करोड़ का बैंकिंग ट्रांजेक्शन रोज होता है. सालाना 800 लाख करोड़.
- सिर्फ 20% ट्रांजेक्शन बैंक के जरिए होता है. बाकी 80% कैश होता है, जिसे ट्रेस नहीं किया जा सकता.
- देश की 78% आबादी रोज सिर्फ 20 रुपये खर्च करती है. ऐसे में उन्हें 1000 रुपये के नोट की क्या जरूरत.

500 और 1000 के नोट वापस लेने से क्या होगा?
- इस संस्थान ने सरकार को दिए प्रपोजल में कहा था कि कैश ट्रांजेक्शन से होने वाला भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म होगा. ब्लैकमनी व्हाइट हो जाएगी या फिर बेकार. 1000 और 500 के नोट कागजी टुकड़े बन जाएंगे.
- प्रॉपर्टी, जमीन, ज्वेलरी और घर खरीदने में ब्लैकमनी के इस्तेमाल से कीमत बढ़ जाती है. मेहनत से कमाई रकम की वैल्यू घट रही है. इस पर फौरन लगाम लगेगी.
- कुछ क्राइम जैसे किडनैपिंग, रिश्वतखोरी, सुपारी लेकर मर्डर पर रोक लगेगी. कैश ट्रांजेक्शन के जरिए आतंकवाद की फंडिंग पर रोक लगेगी.
- कोई भी महंगी प्रॉपर्टी कैश में खरीदते वक्त रजिस्ट्री में घालमेल नहीं कर पाएगा. जाली नोटों के लेनदेन पर रोक लगेगी.

56 तरह के टैक्स खत्म करने से क्या होगा?
-  नौकरीपेशा लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा होगा और परिवारों की खरीदारी कैपिसिटी बढ़ेगी.
- पेट्रोल, डीजल, एफएमसीजी के साथ सभी कमोडिटीज 35 से 52 फीसदी तक सस्ती होंगी.
- टैक्स भरने का कोई सवाल नहीं होगा तो लोग ब्लैकमनी जमा नहीं कर पाएंगे.
- बिजनेस सेक्टर में उछाल आएगा और लोगों के पास खुद के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.

इसे लागू करने से क्या फायदा होगा?
- अर्थक्रांति के मुताबिक, सभी चीजों की कीमत घटेगी, नौकरीपेशा लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा होगा.
- सोसाइटी की खरीदारी की कैपिसिटी बढ़ेगी. मांग और प्रोडक्शन बढ़ेगा तो कंपनियों में रोजगार बढ़ेगा.
- बैंकों से आसान और सस्ता लोन मिलेगा. इंटरेस्ट रेट घटेगा.
- राजनीति में ब्लैकमनी का इस्तेमाल भी बंद होगा. जमीन और प्रॉपर्टी की कीमत कम होगी.
- व्यापार घाटे को पूरा करने के लिए बीफ एक्पोर्ट की जरूरत नहीं होगी.
- रिसर्च और डेव्लपमेंट के लिए पर्याप्त धन मौजूद होगा. आसामाजिक तत्वों पर लगाम लगेगी.
- संस्थान का दावा है कि यह प्रपोजल ब्लैकमनी, मंहगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, रिश्वतखोरी, आतंकियों की फंडिंग रोकने में पूरी तरह कारगर होगा.

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