Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
चीन के साथ हुई तीसरी फ्लैग मीटिंग के बाद बुधवार को सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने सुरक्षा मामलों से जुड़ी कैबिनेट कमेटी को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) को लद्दाख में चीन की सेना द्वारा किए गए अतिक्रमण पर जानकारी दी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में उनके आधिकारिक आवास 7, रेस कोर्स रोड पर हुई बैठक में रक्षामंत्री एके एंटनी, विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद, वित्तमंत्री पी चिदंबरम और गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी हिस्सा लिया। बैठक के बाद चिदंबरम ने पत्रकारों को बताया, सीसीएस की आज हुई बैठक में सेना प्रमुख ने हमें लद्दाख की स्थिति के बारे में जानकारी दी।
उल्लेखनीय है कि लद्दाख के देपसांग घाटी में चीनी दस्ते ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 19 किलोमीटर भीतर भारतीय क्षेत्र में अपना कैंप स्थापित कर लिया है। भारत ने स्थानीय सैनिक कमांडरों और कूटनीतिक माध्यम से चीन से अतिक्रमित इलाका खाली कराने का प्रयास किया है। चीन ने हालांकि इस बात पर जोर दिया है कि उसने भारतीय क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं किया है।
इससे पहले खबर मिली थी कि चीनी सैनिकों ने लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में एक और तंबू लगा लिया है। इसके साथ ही घुसपैठ वाली जगह पर ऐसे ढांचों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है। इस मसले पर मंगलवार को भारत और चीन के फौजी अफसरों के बीच तीसरी फ्लैग मीटिंग हुई। माना जा रहा है कि इस बैठक में बात कुछ आगे बढ़ी है। चीनी पक्ष ने कहा है कि दोनों देशों की फौजी चौकियों के बीच फासला बढ़ना चाहिए। वहीं, रक्षामंत्री एके एंटनी ने कहा कि सरहद पर यह तनाव भारत का बनाया हुआ नहीं है और हम देश हित में जो भी मुमकिन होगा, करेंगे।
चीन ने फिर यह मांग रखी है कि भारत पूर्वी लद्दाख में अपने मौजूदा बुनियादी ढांचे को तोड़े और कोई नया निर्माण न करे। भारत ने चीन की मांग यह कहते हुए खारिज कर दी कि सारे निर्माण भारतीय क्षेत्र में हुए हैं या हो रहे हैं, इसलिए उन्हें रोकने का कोई सवाल नहीं। चीन ने सुझाव रखा कि दोनों पक्षों को पीछे हटना चाहिए, ताकि आमने−सामने की टकराव की सूरत न रहे। भारत ने यह कहते हुए सुझाव ठुकरा दिया कि चीन कब्जा किए इलाके से पूरी तरह हट जाए।
भारतीय सीमा में चीन की बढ़ती सीनाजोरी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में हटना तो दूर चीन के टेंट बढ़ते जा रहे हैं। पांच टेंट चीन लगा चुका है। हथियारों का पूरा जखीरा उसने जमा कर लिया है। यही नहीं भारतीय सेना की हरकत पर चीन लगातार नजर रख रहा है। उसने खूंखार मोलेसर कुत्ते भी तैनात कर रखे हैं, सिर्फ यही नहीं चीन ने बैनरों के जरिये यह भी बताना शुरू कर दिया है कि यह उसका इलाका है और उसमें दाखिल होने की कोशिश कोई न करे। बेशक, भारतीय जवान थोड़ी दूरी पर कैंप बनाकर चीन पर नजर रख रहे हों, लेकिन यह भी सच है कि चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर करने में भारत अब तक नाकाम रहा है। कूटनीतिक बातचीत भी अब तक तो बेनतीजा ही नजर आती है। विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद 9 मई से चीन की यात्रा पर हैं। उन्होंने कहा है कि यात्रा रद्द करने का फिलहाल कोई सवाल नहीं है। उन्होंने फिर भरोसा जताया है कि इस समस्या का हल निकल जाएगा।
इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कह चुके हैं कि यह एक स्थानीय स्तर की समस्या है, जिसे हल कर लिया जाएगा। विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया भी काफी सधी रही है। लाइन ऑफ एक्चुल कंट्रोल की समस्या तक गिना दी गई, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर अपने क्षेत्र को अपना कहने में इतनी हिचक क्यों है। चीन भारत की सीमा में दाखिल हुआ है तो उसकी कड़े शब्दों में निंदा क्यों नहीं। क्यों चीन से सटी सीमा को लेकर सरकार की नीति अलग दिखती है। क्या सरकार दूसरे तरीके से चीन पर दबाव नहीं बना सकती है, आखिर क्यों चीन के सामने भारत सॉफ्ट स्टेट नजर आता है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
चीनी घुसपैठ, लद्दाख में घुसपैठ, भारत-चीन फ्लैग मीटिंग, Third Flag Meeting, China Incursion, India And China