प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि देश के संवेदनशील सैन्य ठिकानों पर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार ने थलसेना, नौसेना और वायुसेना को ‘पर्याप्त’ वित्तीय ताकत दी है. मंत्रालय ने कहा कि संवेदनशील रक्षा संपत्तियों की पूर्ण सुरक्षा का काम प्राथमिकता एवं समयबद्ध तरीके से किया जाना सुनिश्चित करने के लिए रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कड़ी समयसीमा तय की है. तीनों सेवाओं के उप प्रमुखों को आदेश देने, उपकरण खरीदने के अधिकार दिए गए हैं. इसके लिए उन्हें रक्षा मंत्रालय से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है.
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मंत्रालय ने एक बयान में कहा, एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए रक्षा मंत्रालय ने संवेदनशील सैन्य ठिकानों के परिसरों की सुरक्षा के काम को अंजाम देने के लिए सैन्य बलों को पर्याप्त वित्तीय ताकत देने का फैसला किया है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इस फैसले के बाद तीनों उप प्रमुख संवेदनशील सैन्य अड्डों पर परिसर की सुरक्षा मजबूत करने के लिए कम से कम 800 करोड़ रुपये वार्षिक तौर पर खर्च कर सकेंगे. पिछले साल पठानकोट वायुसैन्य अड्डे पर हमले के बाद बलों द्वारा चिन्हित कुल 3000 संवेदनशील अड्डों में थलसेना, नौसेना और वायुसेना के 600 अति संवेदनशील ठिकाने शामिल हैं.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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मंत्रालय ने एक बयान में कहा, एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए रक्षा मंत्रालय ने संवेदनशील सैन्य ठिकानों के परिसरों की सुरक्षा के काम को अंजाम देने के लिए सैन्य बलों को पर्याप्त वित्तीय ताकत देने का फैसला किया है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इस फैसले के बाद तीनों उप प्रमुख संवेदनशील सैन्य अड्डों पर परिसर की सुरक्षा मजबूत करने के लिए कम से कम 800 करोड़ रुपये वार्षिक तौर पर खर्च कर सकेंगे. पिछले साल पठानकोट वायुसैन्य अड्डे पर हमले के बाद बलों द्वारा चिन्हित कुल 3000 संवेदनशील अड्डों में थलसेना, नौसेना और वायुसेना के 600 अति संवेदनशील ठिकाने शामिल हैं.
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