एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने स्पष्ट किया कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के उपचार में एंटीबायोटिक्स का कोई प्रभाव नहीं है. उन्होंने कहा कि यह श्वसन संबंधी बीमारी देश में तेजी से फैल रही है. डॉ. गुलेरिया ने लोगों से आग्रह किया कि वे पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और संतुलित, पौष्टिक आहार लें, जो उनकी सेहत के लिए फायदेमंद रहेगा.
मेदांता गुरुग्राम स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन, रेस्पिरेटरी और स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है और यह केवल हल्के संक्रमण का कारण बनता है.
उन्होंने बताया कि यह वायरस सामान्यत हल्की बीमारी का कारण बनता है, लेकिन अधिक उम्र के लोगों, शिशुओं, छोटे बच्चों और सह-रुग्णताओं वाले व्यक्तियों में यह गंभीर समस्या पैदा कर सकता है. गुलेरिया ने कहा कि इन समूहों में एचएमपीवी निमोनिया का कारण बन सकता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है.
डॉ. गुलेरिया ने यह भी कहा कि वायरस आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है और केवल लक्षणात्मक उपचार की आवश्यकता होती है. उन्होंने सलाह दी कि बुखार के लिए दवाइयां ली जाएं, पर्याप्त पानी पिया जाए और अच्छा पोषण लिया जाए. साथ ही, उन्होंने संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचने की सलाह दी.
अब तक एचएमपीवी के सात मामले सामने आए हैं - कर्नाटक (2), गुजरात (1), और तमिलनाडु (2)। सभी मामले 3 महीने से लेकर 13 साल की उम्र के छोटे बच्चों में पाए गए. हालांकि, यह किसी को भी हो सकता है क्योंकि यह इन्फ्लूएंजा की तरह एक छोटी बूंद का संक्रमण है.
उन्होंने कहा, "ऐसी कोई विशेष एंटीवायरल दवा नहीं है जिसे लिया जाना चाहिए. एंटीबायोटिक्स लेने की कोई भूमिका नहीं है, क्योंकि यह एक वायरल संक्रमण है. उन्होंने कहा कि संक्रमण नियंत्रण बहुत महत्वपूर्ण है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं