पूर्व क्रिकेट कैप्टन अनिल कुंबले डायबिटीज अभियान के ब्रांड ऐम्बेसेडर चुने गए- फाइल फोटो
नई दिल्ली:
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवदीप रिनवा ने टाइप-1 डायबिटीज पर एक पुस्तक का विमोचन किया. इस पुस्तक को नोवो नॉर्डिस्क एजुकेशन फाउंडेशन का समर्थन प्राप्त है. नोवो नॉर्डिस्क इंडिया ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अनिल कुम्बले को चेंजिंग डायबिटीज ब्रांड ऐम्बेसेडर चुने जाने की भी घोषणा की. कुम्बले चेंजिंग डायबिटीज इन चिल्ड्रेन पहल को अपना समर्थन दे रहे हैं और चेंजिंग डायबिटीज ऐम्बेसेडर हैं.
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कुम्बले ने डायबिटीज से लड़ने के लिए एक साझीदार के तौर पर नोवो नॉर्डिस्क के साथ गठबंधन किया है. अनिल को लोगों द्वारा काफी पसंद किया जाता है, और उनका सहयोग नोवो नॉर्डिस्क की बच्चों एवं बड़ों के बीच अधिक जागरूकता फैलाने में मदद करेगा.
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इस पहल की सराहना करते रिनवा कहा, "डायबिटीज के संकट से निपटने के लिए, हम सभी को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को समय पर देखभाल मिल सके. सरकार डायबिटीज से पीड़ित लोगों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा इलाज देने के लिए केन्द्रित एवं प्रतिबद्ध है. सरकार सुनिश्चित कर रही है कि देश के हर नागरिक को डायबिटीज की शुरुआती पहचान के लिए जागरूक बनाया जा सके."
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इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, 15 साल से कम उम्र के लगभग 81,400 बच्चे दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित हैं। भारत में टाइप-1 डायबिटीज से सबसे अधिक 70,200 बच्चे पीड़ित हैं. एनएनईएफ बच्चों में जागरूकता बढ़ाने, देखभाल तक पहुंच में सुधार करने और डायबिटीज के मनोवैज्ञानिक पहलुओं का समाधान करने की दिशा में काम कर रहा है ताकि उनकी जिंदगी को बेहतर बनाया जा सके.
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कुम्बले ने डायबिटीज से लड़ने के लिए एक साझीदार के तौर पर नोवो नॉर्डिस्क के साथ गठबंधन किया है. अनिल को लोगों द्वारा काफी पसंद किया जाता है, और उनका सहयोग नोवो नॉर्डिस्क की बच्चों एवं बड़ों के बीच अधिक जागरूकता फैलाने में मदद करेगा.
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इस पहल की सराहना करते रिनवा कहा, "डायबिटीज के संकट से निपटने के लिए, हम सभी को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को समय पर देखभाल मिल सके. सरकार डायबिटीज से पीड़ित लोगों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा इलाज देने के लिए केन्द्रित एवं प्रतिबद्ध है. सरकार सुनिश्चित कर रही है कि देश के हर नागरिक को डायबिटीज की शुरुआती पहचान के लिए जागरूक बनाया जा सके."
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इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, 15 साल से कम उम्र के लगभग 81,400 बच्चे दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित हैं। भारत में टाइप-1 डायबिटीज से सबसे अधिक 70,200 बच्चे पीड़ित हैं. एनएनईएफ बच्चों में जागरूकता बढ़ाने, देखभाल तक पहुंच में सुधार करने और डायबिटीज के मनोवैज्ञानिक पहलुओं का समाधान करने की दिशा में काम कर रहा है ताकि उनकी जिंदगी को बेहतर बनाया जा सके.
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