नई दिल्ली:
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
तीखी बहस, नोंक-झोंक और आरोप-प्रत्यारोप के बीच लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया है और अब इस बिल को अब ऊपरी सदन यानी राज्यसभा में भेजा जाएगा. इससे पहले सोमवार को बिल पर लोकसभा में सात घंटे से ज़्यादा समय तक बहस चली. कांग्रेस समेत ज़्यादातर विपक्षी दलों ने बिल को संविधान की मूल आत्मा के ख़िलाफ़ बताते हुए इसका पुरज़ोर विरोध किया. सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बिल संविधान के ख़िलाफ़ नहीं है और इसका देश के मुसलमानों से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थिति में दूसरे देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों को न्याय देने के लिए बिल लाया गया है.
Citizenship amendment Bill पर अमित शाह के भाषण की 8 बड़ी बातें
- यह विधेयक लाखों करोड़ों शरणार्थियों के यातनापूर्ण नरक जैसे जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है. ये लोग भारत के प्रति श्रद्धा रखते हुए हमारे देश में आए, उन्हें नागरिकता मिलेगी. मैं सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता.
- अगर इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो मुझे विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. नेहरू-लियाकत समझौता काल्पनिक था और विफल हो गया और इसलिये विधेयक लाना पड़ा. देश में एनआरसी आकर रहेगा और जब एनआरसी आयेगा तब देश में एक भी घुसपैठिया बच नहीं पायेगा. किसी भी रोहिंग्या को कभी स्वीकार नहीं किया जायेगा.
- नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए देश में किसी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. यह सरकार सभी को सम्मान और सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है. जब तक मोदी प्रधानमंत्री हैं, संविधान ही सरकार का धर्म है.
- 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी. 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गयी. बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो 2011 में कम होकर 7.8 प्रतिशत हो गयी.
- भारत में 1951 में 84 प्रतिशत हिंदू थे जो 2011 में कम होकर 79 फीसदी रह गये, वहीं मुसलमान 1951 में 9.8 प्रतिशत थे जो 2011 में 14.8 प्रतिशत हो गये. इसलिये यह कहना गलत है कि भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव न हो रहा है और ना आगे होगा.
- यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ भेदभाव वाला नहीं है और तीन देशों के अंदर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है जो घुसपैठिये नहीं, शरणार्थी हैं. मैं दोहराना चाहता हूं कि देश में किसी शरणार्थीनीति की जरूरत नहीं है. भारत में शरणार्थियों के संरक्षण के लिए पर्याप्त कानून हैं.
- मोहम्मद अली जिन्ना ने द्विराष्ट्र नीति की बात की लेकिन कांग्रेस ने उसे रोका नहीं. उसने धर्म के आधार पर देश का विभाजन स्वीकार किया था, यह ऐतिहासिक सत्य है. हमारी अल्पसंख्यकों को लेकर अवधारणा संकुचित नहीं है जैसा कि विपक्ष के सदस्यों ने आरोप लगाया. वह यहां के अल्पसंख्यकों की बात ही नहीं कर रहे. यह उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों की बात है.
- इस देश में इतनी बड़ी आबादी मुस्लिमों की है. कोई भेदभाव नहीं हो रहा. तस्वीर ऐसी बनाई जा रही है कि अन्याय हो रहा है. मैं फिर से आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब हम एनआरसी लेकर आएंगे तो देश में एक भी घुसपैठिया बच नहीं पाएगा. हमें एनआरसी की पृष्ठभूमि बनाने की जरूरत नहीं. हमारा रुख साफ है कि इस देश में एनआरसी लागू होकर रहेगा. हमारा घोषणापत्र ही पृष्ठभूमि है. हमें मुसलमानों से कोई नफरत नहीं है और कोई नफरत पैदा करने की कोशिश भी न करे.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)