बच्चों की देखभाल और गोद लेने से संबंधित मुद्दों पर जिला मजिस्ट्रेट और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट की भूमिका बढ़ाने से संबंधित संशोधित कानून एक सितंबर से लागू हो गया है. सरकार ने बच्चों की देखभाल और न्याय संबंधी संशोधन विधेयक, 2021 ( Juvenile Justice Act Amendment) को पिछले साल बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किया था और इसे मॉनसून सत्र में पारित किया गया. संसद से पारित होने के बाद, राष्ट्रपति की मुहर लगने के साथ ही यह अधिनियम एक सितंबर से लागू हो गया.
गजट अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021 (2021 का 23) की धारा-एक की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार एतद द्वारा निर्धारित करती है कि यह अधिनियम एक सितंबर, 2022 से प्रभावी हो जाएगा.'' संशोधन के जरिये जिला मजिस्ट्रेट और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को जेजे अधिनियम की धारा 61 के तहत गोद लेने के आदेश जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है.
इस संशोधन अधिनियम में जिला मजिस्ट्रेट को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करने और संकट में फंसे बच्चों का सहयोग करने के भी अधिकार दिये गये हैं.इस अधिनियम के जरिये बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों की नियुक्ति के लिए पात्रता मानकों को फिर से परिभाषित किया गया है. सीडब्ल्यूसी सदस्यों की अयोग्यता के मानदंड भी यह सुनिश्चित करने के लिए पेश किए गए हैं कि केवल सही योग्यता और सत्यनिष्ठा वाले लोगों को ही सीडब्ल्यूसी में नियुक्त किया जाए.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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