नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जाने-मानें लेखक अमर्त्य सेन लोकसभी चुनाव नतीजों के लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि आम चुनाव के नतीजे यह दिखाते हैं कि भारत ‘हिंदू राष्ट्र' नहीं है. उन्होंने इस बात पर नाखुशी जतायी कि देश में ‘‘बिना मुकदमा चलाए'' लोगों को सलाखों के पीछे रखने का अंग्रेजों के शासनकाल का चलन अब भी जारी है और कांग्रेस सरकार की तुलना में यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार में अधिक है. सेन ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक बंगाली समाचार चैनल से कहा कि चुनाव नतीजे यह दिखाते हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र नहीं है.
उन्होंने कहा कि हम हमेशा हर चुनाव के बाद एक बदलाव देखने की उम्मीद करते हैं. पहले जो कुछ हुआ है (भाजपा नीत केंद्र सरकार के कार्यकाल में) जैसे कि बिना मुकदमा चलाए लोगों को जेल में डालना और अमीर तथा गरीब के बीच की खाई गहरी करना, वह अब भी जारी है. इसे रोका जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि राजनीतिक रूप से खुले विचार रखने की जरूरत है खासतौर से जब भारत एक धर्मनिरपेक्ष संविधान के साथ एक धर्मनिरपेक्ष देश है. मुझे नहीं लगता कि भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने का विचार उचित है.उनका यह भी मानना है कि नया केंद्रीय मंत्रिमंडल ‘‘पहले की ही नकल है. मंत्रियों के पास पहले वाले ही विभाग हैं.
मामूली फेरबदल के बावजूद राजनीतिक रूप से शक्तिशाली लोग अब भी शक्तिशाली हैं.भाजपा के अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करवाने के बावजूद फैजाबाद लोकसभा सीट हारने पर सेन ने कहा कि देश की असली पहचान को धूमिल करने का प्रयास किया गया.
उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनवाने में काफी पैसा खर्च किया गया. भारत को ‘हिंदू राष्ट्र' के रूप में दर्शाने की कोशिश महात्मा गांधी, रबींद्रनाथ टैगोर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के देश में नहीं की जानी चाहिए. यह भारत की असली पहचान को नजरअंदाज करने की कोशिश लगती है और इसे बदलना चाहिए.सेन ने यह भी कहा कि भारत में बेरोजगारी बढ़ रही है और प्राथमिक शिक्षा व प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों को नजरअंदाज किया जा रहा है. (इनपुट भाषा से)
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