
- इस वर्ष अमरनाथ यात्रा में तीन लाख पचास हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने महज 21 दिनों में बाबा बर्फानी के दर्शन किए.
- हिमलिंग की ऊंचाई यात्रा शुरू होने से पहले लगभग बाईस फीट थी, जो मौसम की वजह से जल्दी पिघल गया.
- अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने गुफा में लोहे की ग्रिल लगाना, हेलीकॉप्टर को 5 km दूर उतारना जैसे संरक्षण उपाय किए.
श्रद्धा की शक्ति को न हिम पिघला सकता है और न ही मौसम की मार इसे नष्ट कर सकती है. इसका प्रमाण है कि इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा, जिसमें महज 21 दिनों में ही 3.5 लाख से अधिक श्रद्धालु पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं, भले ही इस बार हिमलिंग यात्रा शुरू होने के सिर्फ 8 दिन बाद ही पूरी तरह पिघल गया हो.
यात्रा प्रारंभ होने से पहले हिमलिंग की ऊंचाई लगभग 22 फीट थी. लेकिन मौसम की अनिश्चितताओं के चलते वह जल्दी ही विलीन हो गया. अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने इसे संरक्षित रखने के कई उपाय किए. जैसे कि गुफा के भीतर लोहे की ग्रिल लगाना और हेलीकॉप्टर को गुफा से 5 किलोमीटर दूर पंजतरणी में उतारना. बावजूद इसके हिमलिंग को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रख पाना संभव नहीं हो सका.
पहले भी पिघला, फिर भी नहीं रुकी आस्था की यात्रा
यह पहला अवसर नहीं है, जब हिमलिंग इतनी जल्दी पिघला हो. पूर्व वर्षों में भी ऐसा हुआ है कि यात्रा शुरू होने से पहले ही हिमलिंग अंतर्धान हो गया. लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसका भक्तों के उत्साह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. इस बार भी, हिमलिंग के पिघलने के बाद दो लाख से अधिक श्रद्धालु पवित्र गुफा तक पहुंच चुके थे.
हालांकि, अब यात्रा में शामिल होने वालों की संख्या में धीरे-धीरे गिरावट दर्ज की जा रही है. इसके लिए हिमलिंग के पिघलने से ज़्यादा जिम्मेदार कश्मीर का खराब मौसम, देशभर में आई बाढ़ और यात्रा पंजीकरण के लिए अनिवार्य स्वास्थ्य प्रमाणपत्र को भी जिम्मेदार माना जा सकता है. साथ ही इस वर्ष साधुओं की संख्या में भी उल्लेखनीय कमी देखी गई है.
भक्ति में कमी नहीं
इस बार यात्रा 3 जुलाई से शुरू हुई थी और 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगी. अब भी यात्रा के 17 दिन शेष हैं. भले ही संख्या में थोड़ी गिरावट आई हो, पर जोश और श्रद्धा में किसी भी स्तर पर कोई कमी नहीं दिखाई दे रही है. बालटाल में लंगर सेवा दे रहे श्री अमरनाथ युवा मंडल करनाल के एक सदस्य ने भावुक होकर कहा कि बाबा बर्फानी का अंतर्धान हमारे लिए मायूसी जरूर है. लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था अब भी वैसी ही अडिग है जैसे पहले थी.
2014 से तुलना
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में यात्रा के पहले महीने में ही 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे और अंतिम दिन तक हिमलिंग का अस्तित्व बना रहा था. इस बार आंकड़ा थोड़ा कम जरूर है. लेकिन आध्यात्मिक ऊर्जा की प्रबलता में कोई कमी नहीं है.
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