राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सर संघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर.
नई दिल्ली:
आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत ने हिन्दू-मुस्लिमों के सवाल पर बुधवार को कहा कि हम एक देश की संतान हैं, भाई-भाई जैसे रहें. इसलिए संघ का अल्पसंख्यक शब्द को लेकर रिज़र्वेशन है. संघ इसको नहीं मानता. सब अपने हैं, दूर गए तो जोड़ना है.
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के अंतिम दिन सवालों के जवाब देते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई मुद्दों पर विचार रखे. इसी दौरान सवाल किया गया कि - 'बंच ऑफ थॉट्स' में मुस्लिम समाज को शत्रु के रूप मे संबोधित किया गया है. क्या संघ इन विचारों से सहमत है. संघ को लेकर मुस्लिम समाज में जो भय है वह उसे कैसे दूर करेगा?
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उक्त सवाल के जवाब में भागवत ने कहा, अरे भाई हम एक देश की संतान हैं, भाई-भाई जैसे रहें. इसलिए संघ का अल्पसंख्यक शब्द को लेकर रिज़र्वेशन है. संघ इसको नहीं मानता. सब अपने हैं, दूर गए तो जोड़ना है. अब रही बात 'बंच ऑफ थॉट्स' की, तो बातें जो बोली जाती हैं वे परिस्थिति विशेष, प्रसंग विशेष के संदर्भ में बोली जाती हैं. वे शाश्वत नहीं रहतीं.
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उन्होंने कहा कि एक बात यह है कि गुरुजी (गोलवलकर) के जो शाश्वत विचार हैं, उनका एक संकलन प्रसिद्ध हुआ है- 'श्री गुरुजी विजन और मिशन,' उसमें तात्कालिक सन्दर्भ वाली सारी बातें हमने हटाकर उनके जो सदा काल के लिए उपयुक्त विचार हैं उन्हें हमने लिया है. संघ बंद संगठन नहीं है कि हेडगेवर जी ने कुछ वाक्य बोल दिए, हम उन्हीं को लेकर चलने वाले हैं. समय के साथ चीज़ें बदलती हैं.
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गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सर संघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की पुस्तक 'बंच ऑफ थॉट्स' में मुस्लिम समाज को शत्रु के रूप में संबोधित किया गया है.
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के अंतिम दिन सवालों के जवाब देते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई मुद्दों पर विचार रखे. इसी दौरान सवाल किया गया कि - 'बंच ऑफ थॉट्स' में मुस्लिम समाज को शत्रु के रूप मे संबोधित किया गया है. क्या संघ इन विचारों से सहमत है. संघ को लेकर मुस्लिम समाज में जो भय है वह उसे कैसे दूर करेगा?
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उक्त सवाल के जवाब में भागवत ने कहा, अरे भाई हम एक देश की संतान हैं, भाई-भाई जैसे रहें. इसलिए संघ का अल्पसंख्यक शब्द को लेकर रिज़र्वेशन है. संघ इसको नहीं मानता. सब अपने हैं, दूर गए तो जोड़ना है. अब रही बात 'बंच ऑफ थॉट्स' की, तो बातें जो बोली जाती हैं वे परिस्थिति विशेष, प्रसंग विशेष के संदर्भ में बोली जाती हैं. वे शाश्वत नहीं रहतीं.
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उन्होंने कहा कि एक बात यह है कि गुरुजी (गोलवलकर) के जो शाश्वत विचार हैं, उनका एक संकलन प्रसिद्ध हुआ है- 'श्री गुरुजी विजन और मिशन,' उसमें तात्कालिक सन्दर्भ वाली सारी बातें हमने हटाकर उनके जो सदा काल के लिए उपयुक्त विचार हैं उन्हें हमने लिया है. संघ बंद संगठन नहीं है कि हेडगेवर जी ने कुछ वाक्य बोल दिए, हम उन्हीं को लेकर चलने वाले हैं. समय के साथ चीज़ें बदलती हैं.
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गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सर संघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की पुस्तक 'बंच ऑफ थॉट्स' में मुस्लिम समाज को शत्रु के रूप में संबोधित किया गया है.
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