पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में बलूचिस्तान का मुद्दा उठाया था (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में रह रहे लोगों के हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चिंता जताए जाने के बाद ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) जल्द ही बलूच भाषा में नियमित समाचार बुलेटिन शुरू करने की योजना बना रहा है.
सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार ने एआईआर को इसके लिए मंजूरी दे दी है. उन्होंने बताया कि सरकार बलूच भाषा में कार्यक्रम बनाने वाली ऑल इंडिया रेडियो की इकाई के विस्तार पर विचार कर रही है, जो कि फिलहाल समाचार और सम-सामयिकी से जुड़ी दैनिक बुलेटिन पेश करती है.
एआईआर पर बलूची सेवा 1974 में शुरू की गई थी. समझा जाता है कि 10 मिनट की मौजूदा न्यूज बुलेटिन की अवधि बढ़ाई जा सकती है.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में बलूचिस्तान, गिलगित और पाक अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मसला उठाया था. अपने भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि बलूचिस्तान की आजादी के लिए लंबे समय से जारी आंदोलन को कुचलने के लिए सुरक्षा बलों की ज्यादतियों का मुद्दा उठाने के लिए वहां के लोगों ने आभार व्यक्त किया है.
पीएम मोदी का यह कदम उनके पाकिस्तान समकक्ष नवाज शरीफ को जवाब पर देखा गया था, जिन्होंने भारत सरकार पर कश्मीर घाटी में विरोधी आवाज को दबाने का आरोप लगाया था. पीएम मोदी द्वारा बलूचिस्तान का मुद्दा उठाए जाने से बौखलाए पाकिस्तान खासा भड़क गया था और उसने पीएम पर 'लक्ष्मण रेखा लांघने का आरोप लगाया' था.
बलूचिस्तान पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. यह पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का लगभग आधा है. यह पाकिस्तान का बहुत पिछड़ा-ग़रीब क्षेत्र है, लेकिन खनिज के क्षेत्र में समृद्ध है, जिसका लाभ बलूची जनता को नहीं मिल पा रहा है. 1948 से ही ये लोग आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं और तब से ही वहां पाकिस्तानी सेना का दमन जारी है. सेना पर शांति के नाम पर हजारों लोगों की गिरफ्तारी, अपहरण और हत्याओं के आरोप हैं. सेना-सरकारी नौकरियों में बलूचियों पर रोक लगा रखी है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार ने एआईआर को इसके लिए मंजूरी दे दी है. उन्होंने बताया कि सरकार बलूच भाषा में कार्यक्रम बनाने वाली ऑल इंडिया रेडियो की इकाई के विस्तार पर विचार कर रही है, जो कि फिलहाल समाचार और सम-सामयिकी से जुड़ी दैनिक बुलेटिन पेश करती है.
एआईआर पर बलूची सेवा 1974 में शुरू की गई थी. समझा जाता है कि 10 मिनट की मौजूदा न्यूज बुलेटिन की अवधि बढ़ाई जा सकती है.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में बलूचिस्तान, गिलगित और पाक अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मसला उठाया था. अपने भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि बलूचिस्तान की आजादी के लिए लंबे समय से जारी आंदोलन को कुचलने के लिए सुरक्षा बलों की ज्यादतियों का मुद्दा उठाने के लिए वहां के लोगों ने आभार व्यक्त किया है.
पीएम मोदी का यह कदम उनके पाकिस्तान समकक्ष नवाज शरीफ को जवाब पर देखा गया था, जिन्होंने भारत सरकार पर कश्मीर घाटी में विरोधी आवाज को दबाने का आरोप लगाया था. पीएम मोदी द्वारा बलूचिस्तान का मुद्दा उठाए जाने से बौखलाए पाकिस्तान खासा भड़क गया था और उसने पीएम पर 'लक्ष्मण रेखा लांघने का आरोप लगाया' था.
बलूचिस्तान पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. यह पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का लगभग आधा है. यह पाकिस्तान का बहुत पिछड़ा-ग़रीब क्षेत्र है, लेकिन खनिज के क्षेत्र में समृद्ध है, जिसका लाभ बलूची जनता को नहीं मिल पा रहा है. 1948 से ही ये लोग आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं और तब से ही वहां पाकिस्तानी सेना का दमन जारी है. सेना पर शांति के नाम पर हजारों लोगों की गिरफ्तारी, अपहरण और हत्याओं के आरोप हैं. सेना-सरकारी नौकरियों में बलूचियों पर रोक लगा रखी है.
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