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This Article is From Apr 12, 2019

Exclusive: IAS परीक्षा में कामयाबी का परचम लहराने वाले शुभम की पूरी कहानी

जयपुर के रहने वाले शुभम ने अपना ग्रेजुएशन इकोनॉमिक्स से किया है. वे सिविल सर्विसेज की परीक्षा देने वाले दूसरे छात्रों को अपने टिप्स भी शेयर करना चाहते हैं.

Exclusive: IAS परीक्षा में कामयाबी का परचम लहराने वाले शुभम की पूरी कहानी
शुभम
नई दिल्ली:

शुभम ने पांचवी कक्षा में आईएएस बनने का जो सपना देखा था वो कामयाबी तीसरी कोशिश में हासिल हुई. इस बार की सिविल सर्विसेज एग्जाम में छठे स्थान पर आए शुभम गुप्ता का कहना है कि सपने वे नहीं होते जिन्हें आप आंखे बंद कर देखते हैं, बल्कि सपने वे होते हैं जो खुली आंखों से देखे जाते हैं. शुभम को कलेक्टर बनने का सपना उनके पिता ने दिखाया था जब वे महज पांचवी क्लास में पढ़ते थे और उन्होंने भी इस सपने को साकार करने में अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी, भले ही इसके लिए उन्हें तीन कोशिशें करनी पड़ीं. अपने पहले प्रयास में वे कामयाब नहीं हो सके जबकि दूसरी बार उनका चुनाव इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विसेज (IAAS) के लिए किया गया लेकिन शुभम को तो आईएएस ही बनना था लिहाजा मेहनत जारी रही और इसबार आखिरकार मंजिल मिल ही गई. कई मायनों में शुभम दूसरों से हट कर हैं, आमतौर पर अच्छी रैंक लाने वाले खुद को सोशल मीडिया से दूर रखते हैं जबकि शुभम पर ये बात लागू नहीं होती, उनके पास बेशक वक्त की कमी रही लेकिन फिर भी तैयारी में कोई कमी नहीं आने दी.  NDTV इंडिया से अपनी बातचीत में शुभम ने बताया कि वे पिछले दो बार से इंटरव्यू में अच्छे नंबर नहीं ला पा रहे थे जिसकी वजह से रैंक भी अच्छे नहीं मिले. इसबार उन्होनें अपनी रणनीति में बदलाव लाया और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर अपनी जानकारी के दायरे और पर्सनालिटी को और बेहतर बनाया, इसके नतीजे अब दुनिया के सामने हैं. शुभम बताते हैं कि सिविल सर्विसेज के लिए महज किताबी ज्ञान ही काफी नहीं होता बल्कि आपके आसपास हो रही घटनाएं भी काफी मायने रखती हैं। इससे एक बेहतर सोच विकसित होती है और आप एक बेहतर सिविल सर्वेंट बन सकते हैं. 

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जयपुर के रहने वाले शुभम ने अपना ग्रेजुएशन इकोनॉमिक्स से किया है. वे सिविल सर्विसेज की परीक्षा देने वाले दूसरे छात्रों को अपने टिप्स भी शेयर करना चाहते हैं. वे कहते हैं कि आप सिविल सर्वेंट क्यों बनना चाहते हैं, इसका जवाब आपको जरूर ढूंढना चाहिए वरना इस लंबे सफर की कड़ी तैयारी के दौरान आप हताश भी हो सकते हैं. इसके अलावा कुछ किताबें आपको बार बार पढनी होती हैं और लगातार खुद में सुधार करना होता है. शुभम का संदेश साफ है- अगर आपको सूरज की तरह चमकना है तो सूरज की तरह जलना भी होगा, आपको इतनी मेहनत करनी होगी कि आप अपने हाथ की लकीरों को बदल सकें. 

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