
- एक्टर अक्षय कुमार ने बताया कि उनकी बेटी से ऑनलाइन वीडियो गेम खेलते समय एक शख्स ने अश्लील तस्वीरें मांगी थीं.
- ऑनलाइन मल्टीप्लेयर गेम खेलते समय ज्यादा खतरा होता है. साइबर अपराधी बच्चों के नाम से फुसला सकते हैं.
- अगर साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस जाएं तो cybercrime.gov.in या हेल्पलाइन 1930 पर भी शिकायत कर सकते हैं.
एक्टर अक्षय कुमार ने अपनी बेटी के साथ ऑनलाइन वीडियो गेम खेलने के दौरान हुई चौंकाने वाली घटना का खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन वीडियो गेम खेलते समय एक अनजान शख्स ने उनकी बेटी से अश्लील तस्वीरें मांगी थीं. आजकल के डिजिटल वर्ल्ड में ये इकलौती घटना नहीं है. ये घटना ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर चेतावनी की तरह है. आइए बताते हैं कि असुरक्षित ऑनलाइन गेमिंग के दौरान किस तरह के खतरे होते हैं और किस तरह इनसे बचा जा सकता है. बच्चों के साथ-साथ पैरेंट्स के लिए भी यह बहुत जरूरी है.
ऑनलाइन गेम, साइबर अपराधियों के अड्डे
भारत में ऑनलाइन गेमिंग का बहुत बड़ा मार्केट है. मोबाइल फोन, गेमिंग कंसोल, कंप्यूटर, पोर्टेबल गेमिंग डिवाइस, सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्राउजर्स पर गेम्स मौजूद रहते हैं. इनके अलावा बहुत से बच्चे इंटरनेट से गेम डाउनलोड करके भी खेलते हैं. हाल ही में सरकार ने ऑनलाइन मनी गेमिंग पर बैन लगाया है. मतलब, जिन गेम्स में पैसों का लेन-देन होता है, उन पर रोक लगाई गई है. हालांकि अब भी ऐसे बहुत से तरीके मौजूद हैं, जिनसे इंटरनेट पर गेम खेले जा सकते हैं. लेकिन ये गेम्स साइबर अपराधियों के लिए भी अपना शिकार ढूंढने के अड्डे होते हैं.
मल्टीप्लेयर गेम में ज्यादा जोखिम
ऑनलाइन गेम कई तरह के होते हैं. सिंगल प्लेयर में एक ही व्यक्ति गेम खेलता है. मल्टी प्लेयर में कई लोग मिलकर गेम खेलते हैं. ये गेम्स आजकल बहुत पॉपुलर हैं. करोड़ों लोग एकसाथ ऑनलाइन गेम खेलते हैं. गेम खेलते ही नहीं, आपस में चैटिंग करते हैं, बातचीत भी करते हैं, फोटो-वीडियो शेयर करते हैं. बच्चे अपने दोस्तों के साथ गेम खेलते हैं, तो कई बार अनजान लोगों के साथ भी ऑनलाइन गेम खेलते लगते हैं. असल खतरे इसी में होते हैं. होम मिनिस्ट्री की साइबर सिक्योरिटी हैंडबुक में भी इसके खतरे और बचाव के उपाय बताए गए हैं.
ऑनलाइन गेमिंग में क्या-क्या खतरे?
- बहुत से बड़े लोग और साइबर अपराधी भी बच्चे होने का दिखावा करके गेम खेलते हैं. वो गेम्स के टिप्स देकर, आपके साथ पॉइंट वगैरा शेयर करके दोस्ती करने की कोशिश करते हैं. विश्वास जीतकर निजी जानकारियां हासिल करते हैं या अकेले मिलने का दबाव बनाते हैं.
- ऑनलाइन गेम खेलते समय कोई प्लेयर बच्चों को डरा-धमका सकते हैं. कुछ तो परेशान करने के लिए ही गेम खेलते हैं. ऐसे लोग असभ्य भाषा का प्रयोग कर सकते हैं.
- ऑनलाइन गेम से जुड़ी बहुत सी बेवसाइटें रजिस्ट्रेशन, शर्तें एक्सेप्ट करने या ईमेल व टेक्स्ट मैसेज के जरिए कन्फर्मेशन लेने के नाम पर पर्सनल इनफॉर्मेशन जुटा लेती हैं. इनमें नाम, उम्र, मोबाइल नंबर वगैरा तो होता है ही, डिवाइस की टेक्निकल डिटेल्स भी चुरा ली जाती हैं.
- ऑनलाइन या अनसेफ बेवसाइटों से डाउनलोड गेम के साथ वायरस और मेलवेयर भी डाउनलोड हो जाते हैं. ये आपके कंप्यूटर, फोन या अन्य डिवाइस से निजी जानकारियां चुरा सकते हैं. गैरजरूरी फाइल्स डाउनलोड कर सकते हैं.
- बहुत से ऑनलाइन गेम्स में कॉइन या पॉइंट्स खरीदने के लिए उकसाया जाता है. इसके लिए क्रेडिट या डेबिट कार्ड वगैरा की डिटेल्स मांगी जाती है. असुरक्षित प्लेटफॉर्म्स पर इन डिटेल्स का मिसयूज भी किया जा सकता है.
ऑनलाइन गेम खेलते समय ये सावधानियां रखें ?
- कभी भी इंटरनेट से फ्री के नाम पर अनसेफ गेम डाउनलोड न करें. ईमेल या वॉट्सऐप वगैरा पर आने वाले लिंक के जरिए भी गेम डाउनलोड नहीं करने चाहिए.
- गेम खेलते समय अनजान व्यक्ति को नाम, उम्र, स्कूल, एड्रेस, फोटो या पैरेंट्स जैसी निजी जानकारी बिल्कुल न दें. बैंकिंग डिटेल्स से कतई न दें.
- मल्टीप्लेयर गेम्स में अक्सर चैट का ऑप्शन होता है. बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि वे अनजान लोगों के साथ कोई संपर्क न करें, चैटिंग न करें.
- अगर कोई प्लेयर अभद्र भाषा प्रयोग करे, डराए या फोटो-वीडियो वगैरा अनुचित कंटेंट मांगे तो तुरंत उसकी रिपोर्ट करके ब्लॉक कर देना चाहिए.
- इंटरनेट गेम खेलते समय या चैट में आने वाले किसी भी लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए क्योंकि ये खतरनाक हो सकते हैं.
- ऑनलाइन गेमिंग के दौरान वॉइस चैट या वेबकैम प्रयोग न करें. इससे आपकी फोटो-वीडियो लेकर दुरुपयोग किया जा सकता है.
- अगर ऑनलाइन गेम खेलते समय कोई परेशान करता है या निजी जानकारियां मांगता है तो डरे नहीं, तुरंत पैरेंट्स या किसी बड़े व्यक्ति को बताएं.
सेफ गेमिंग के लिए पैरेंट्स क्या करें?
- पैरंट्स को चाहिए कि बच्चों को सेफ ऑनलाइन गेमिंग के बारे में बताएं. बच्चों से पूछते रहें कि कौन सा गेम खेल रहे हैं, किसके साथ खेल रहे हैं. उम्र के हिसाब से गेम खेलने देने चाहिए.
- बच्चे को डांटने या अचानक गेम छीनने के बजाय उनसे दोस्त जैसा बर्ताव करें. समय निर्धारित करके गेम खिलाएं ताकि वो आपसे डरे नहीं और अगर कुछ गलत हो तो तुरंत बताएं.
- अधिकतर मोबाइल, गेमिंग कंसोल, कंप्यूटर या डिवाइस पर पैरेंटल कंट्रोल की सेटिंग होती है. इनके जरिए आप गेम के कंटेंट को कंट्रोल कर सकते हैं. बच्चे क्या गेम खेलें, कब तक खेले, किसके साथ खेलें, इस तरह के भी ऑप्शन होते हैं.
- बच्चे जिस डिवाइस पर गेम खेल रहे हैं, पैरेंट्स को चाहिए कि उसके गेम अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग को Private पर सेट करें ताकि अनजान लोग आसानी से संपर्क न कर सकें.
- सुनिश्चित करें कि बच्चा कमरे में अकेले खेलने के बजाय कॉमन एरिया में गेम खेले ताकि आप उनकी स्क्रीन पर आसानी से नजर रख सकें. समय-समय पर उनके गेमिंग फ्रेंड्स की लिस्ट और चैट हिस्ट्री भी चेक करें
संकट में फंस जाएं तो क्या करें?
अगर सावधानियां रखने के बावजूद किसी वजह से साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस जाएं तो क्या करें? भारत सरकार ने इसके लिए खासतौर से साइबर क्राइम पोर्टल cybercrime.gov.in बना रखा है. टोल फ्री हेल्पलाइन 1930 भी है. इसके अलावा इमरजेंसी में 112 नंबर पर पुलिस को कॉल करके भी सूचना दे सकते हैं. याद रखें, किसी भी परिस्थिति में घबराएं नहीं. घर में बड़े लोगों को बताएं और संबंधित एजेंसियों की मदद लें.
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