चंडीगढ़ : संगरूर के धूरी विधानसभा उप चुनाव में सत्ताधारी अकाली दल ने ज़बरदस्त जीत दर्ज करके एक बार फिर अपनी पंजाब में सियासी ताक़त का मुज़ाहिरा किया है।
इस जीत के साथ ही विधानसभा में अकाली दल के 59 एमएलए हो गए हैं और 117 सदस्यों वाले सदन में उसे स्पष्ट बहुमत हासिल हो गया है। अब उसे बीजेपी के समर्थन की ज़रूरत नहीं रह गयी है।
वहीं, कांग्रेस से धूरी सीट छीनने के बाद उसके विधायकों की संख्या 42 रह गयी है और कैप्टन अमरिंदर सिंह कैंप से हार का ठीकरा प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा के सर फोड़ा है और उनका इस्तीफ़ा मांगा है। उपचुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए अच्छी खबर नहीं है। पार्टी के नेता प्रचार से लगभग दूर ही रहे।
लोकसभा चुनाव के बाद अकाली दल से रिश्तों में आई खटास के बाद बीजेपी पंजाब में अपना कद बढ़ाने कि कवायद में जुटी है।
कांग्रेस विधायक अरविन्द खन्ना के इस्तीफे से खली हुई धूरी विधानसभा सीट पर अकाली दल के गोबिंद सिंह लोगोंवाल ने कांग्रेस के सिमर प्रताप सिंह बरनाला को 37501 मतों से करारी शिकस्त दी है। लोगोंवाल को 60.9 फीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस को सिर्फ 27.1 फीसदी।
8 साल की सत्ता विरोधी लहर और नशे के कारोबार में अकाली नेताओं मिलीभगत के आरोपों के बावजूद अकाली दल ने कांग्रेस को उसके ही गढ़ में पटखनी दी है। अकाली दल ने धूरी सीट लम्बे अरसे के बाद जीती है।
पार्टी के अध्यक्ष और पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बदल ने कहा कि अकाली दल पहले भी काफी टेस्ट पास कर चुका है और इस सीट पर अकाली दल 15 सालो से नहीं जीत पाया था, आने वाले 2017 के चुनाव बीजेपी और अकाली दल मिलकर ही लड़ेंगे। वहीं, चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस में खेमेबाजी हावी रही।
बाजवा और कैप्टन कैंप ने अलग अलग प्रचार किया। लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भगवंत मान को 33 हज़ार मतों से धूरी में लीड मिली थी। आप ने प्रत्याशी नहीं उतरा तो कांग्रेस को उम्मीद थी कि ये वोट उसके पास लौट आएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा सीधे सीधे कैप्टन गुट पर निशाना साधने से बचते नज़र आए। उन्होंने कहा कि गुटबाज़ी तो हर पार्टी में होती है, नेताओं के बीच कुछ मनमुटाव हो सकता है लेकिन पार्टी कि हार की वजह अकाली दल का बेहतर चुनाव प्रबंधन रहा।
उन्होंने कहा कि चुनाव घोषित होने से पहले बादल सरकार ने धूरी के विकास के लिए 72 करोड़ रुपये लगाए। इसके अलावा इस्तीफ़ा देने वाले विधायक अरविन्द खन्ना के साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता भी पलायन कर गए, जिसका खामियाज़ा पार्टी को भुगतना पड़ा।
लेकिन कैप्टन अमरिंदर खेमे ने हार के लिए प्रदेश अध्यक्ष बाजवा को ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनका इस्तीफा मांगा है। कैप्टन अमरिंदर के करीबी लुधियाना के पूर्व जिला अध्यक्ष पवन दीवान ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि प्रदेश अध्यक्ष बाजवा को हार कि ज़िम्मेदारी लेते हुए नैतिक आधार पर इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।
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