हिंडनबर्ग (Hindenburg) के आरोपों को अगर आप देखेंगे तो उनकी तरफ से 3 बड़े आरोप थे. पहला कि सेबी की चेयरपर्सन और उनके पति ने अदाणी के शेयर में इनवेस्ट किया था. दूसरा आरोप था कि एक कंसल्टिंग कंपनी से बुच दंपत्ति को कमाई हो रही है. तीसरा आरोप था कि रीट्स (Real Estate Investment Trust) में जो बदलाव किए गए थे वो बेनिफिट, ब्लैकस्टोन के लिए थे और सेबी के चेयरपर्सन के पति ब्लैकस्टोन के एडवाइजर हैं.
तीनों ही आरोप गलत हैं
पहले आरोप को अगर आप देखेंगे तो फंड को IIFL देख रहा है. एक बात साफ है कि सेबी के चेयरपर्सन ने जिस फंड में इनवेस्ट किया था उसमें अदाणी ग्रुप का कोई शेयर नहीं था. दूसरा कंसल्टिंग इनकम की बात भी साफ हो चुका है. तीसरा जो सवाल उठाया गया है उसमें ब्लैकस्टोन ने क्लियर कर दिया है कि सेबी के चेयरपर्सन के पति ने कोई निवेश नहीं किया है. ये तीनों ही आरोप गलत साबित हुए हैं. बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने अभी ये सब क्यों जारी किया है. इसका जवाब है कि हिंडनबर्ग ने पहले एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि माधवी पुरी बुच और उनके पति को इस मुद्दे पर इस्तीफा देने की कोई जरूरत है.
सोमवार को मार्केट ने बहुत ही परिपक्वता का परिचय दिया है. कल से इसका क्या असर होता है यह देखना होगा. हालांकि मुद्दे पर हिंडनबर्ग पर भारत सरकार कुछ भी नहीं कर सकती है जो भी करेगी वो सेबी ही कर सकती है. सेबी की तरफ से पहले से ही जांच जारी है. जो भी करेगा वो सेबी ही कर सकता है. उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग को जांच का सामना करना ही पड़ेगा.
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