
अरुणाचल में इस एयरफील्ड से वायुसेना को बड़ी ताकत मिलेगी
- पासीघाट स्थित इस आधुनिक लैंडिंग स्थल का उद्घाटन 19 अगस्त को किया जाएगा
- चीन से युद्ध के वक्त इसका इस्तेमाल होता था, लेकिन बाद में बंद कर दिया गया
- 2009 में तत्कालीन सरकार ने हवाई पट्टी दुरुस्त करने का प्रस्ताव पास किया
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नई दिल्ली:
भारतीय वायु सेना को अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा से महज 100 किलोमीटर की दूरी पर एक नई एयरफील्ड मिलने वाली है. दक्षित पूर्व अरुणाचल में पासीघाट स्थित आधुनिक लैंडिंग स्थल (एएलजी) का उद्घाटन इसी हफ्ते 19 अगस्त को किया जाएगा.
पासीघाट एएलजी रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण होगा, जहां से सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमान और अमेरिका निर्मित C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान उड़ और उतर सकते हैं. यह सभी तरह के विमानों तथा हेलीकॉप्टरों के संचालन में सक्षम ईस्टर्न एयर कमांड के अधीन केंद्रों में शामिल होगा.
वायुसेना ने कहा कि एएलजी से परिचालन से न सिर्फ विभिन्न अभियान संबंधी परिस्थितियों में हमारी कार्रवाई के समय में सुधार होगा, बल्कि पूर्वी सीमांत क्षेत्र में वायु अभियानों की क्षमता में इजाफा भी होगा. वायुसेना ने कहा कि एएलजी से सेना, अर्धसैनिक बलों और असैन्य प्रशासन की वायु क्षमता बढ़ेगी.
एयर मार्शल और एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ ईस्टर्न एयर कमांड सी हरि कुमार के साथ केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू एएलजी का उद्घाटन करेंगे.
यह अग्रिम एयरफील्ड साल 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान सैनिकों और रसद पहुंचाने के लिए इस्तमाल हुआ करता था, लेकिन बाद में यह बंद कर दिया गया. पासीघाट सहित इलाके की ज्यादातर हवाईपट्टियां काफी खस्ताहालत में थी और उन पर घास उग आई थी.
साल 2009 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने अरुणाचल में करीब 1000 करोड़ रुपये की लागत यह हवाई पट्टी को दुरुस्त कर परिचालन लायक बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. इस फैसले के बाद चीन से अरुणाचल प्रदेश की 1,080 किलोमीटर सीमा पर बुनियादी ढांचों का काफी विकास किया गया.
गौरतलब है कि चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में छोटे या मध्यम दर्जे के 15 एयरफील्ड्स बना रखे हैं, जहां सैनिक उतारे जा सकते हैं. (एजेंसी इनपुट के साथ)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पासीघाट एएलजी रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण होगा, जहां से सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमान और अमेरिका निर्मित C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान उड़ और उतर सकते हैं. यह सभी तरह के विमानों तथा हेलीकॉप्टरों के संचालन में सक्षम ईस्टर्न एयर कमांड के अधीन केंद्रों में शामिल होगा.
वायुसेना ने कहा कि एएलजी से परिचालन से न सिर्फ विभिन्न अभियान संबंधी परिस्थितियों में हमारी कार्रवाई के समय में सुधार होगा, बल्कि पूर्वी सीमांत क्षेत्र में वायु अभियानों की क्षमता में इजाफा भी होगा. वायुसेना ने कहा कि एएलजी से सेना, अर्धसैनिक बलों और असैन्य प्रशासन की वायु क्षमता बढ़ेगी.
एयर मार्शल और एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ ईस्टर्न एयर कमांड सी हरि कुमार के साथ केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू एएलजी का उद्घाटन करेंगे.
यह अग्रिम एयरफील्ड साल 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान सैनिकों और रसद पहुंचाने के लिए इस्तमाल हुआ करता था, लेकिन बाद में यह बंद कर दिया गया. पासीघाट सहित इलाके की ज्यादातर हवाईपट्टियां काफी खस्ताहालत में थी और उन पर घास उग आई थी.
साल 2009 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने अरुणाचल में करीब 1000 करोड़ रुपये की लागत यह हवाई पट्टी को दुरुस्त कर परिचालन लायक बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. इस फैसले के बाद चीन से अरुणाचल प्रदेश की 1,080 किलोमीटर सीमा पर बुनियादी ढांचों का काफी विकास किया गया.
गौरतलब है कि चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में छोटे या मध्यम दर्जे के 15 एयरफील्ड्स बना रखे हैं, जहां सैनिक उतारे जा सकते हैं. (एजेंसी इनपुट के साथ)
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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