
- सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाकों के आरोपियों को बरी करने वाले बांबे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई
- सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि रिहा किए गए लोगों को बेगुनाह नहीं माना जाएगा
- एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में अपील पर सवाल उठाए हैं
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए बम धमाकों के मामले में आरोपियों को बरी करने के बांबे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है.सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए आरोपियों को नोटिस जारी किया है.अदालत ने कहा है कि जिन लोगों को बरी किया गया है, उन्हें अब गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. अदालत ने यह भी कहा कि रिहा किए गए लोगों को बेगुनाह न माना जाए. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद एमआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र सरकार के कदम पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि जब हाई कोर्ट ने आरोपियों को निर्दोष बता दिया है तो सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों चली गई.
महाराष्ट्र और केंद्र सरकार से असदुद्दीन ओवैसी के सवाल
सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि 18 साल बाद रिहा हुए आरोपियों को दोबारा गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. मैं केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार से पूछता हूं कि जब वे पूरी तरह से निर्दोष साबित हुए हैं तो यह अपील क्यों की जा रही हैं?'' इसके साथ ही ओवैसी ने पूछा कि अगर मालेगांव विस्फोट के आरोपी,जिस पर अदालत ने फैसला सुरक्षित कर रखा है, भी बरी हो जाते हैं तो क्या आप तब भी अपील करेंगे.''
#WATCH | On SC stays Bombay HC judgement acquitting 12 accused persons in 2006 Mumbai train blasts case, AIMIM MP Asaduddin Owaisi says, "The SC has put a stay on the HC judgement and said that the accused who were released after 18 years, will not be arrested again. I want to… pic.twitter.com/Mnc5xFYB2I
— ANI (@ANI) July 24, 2025
बांबे हाई कोर्ट का फैसला आने पर ओवैसी ने जांच एजेंसियों पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था, "पिछले 18 सालों से ये आरोपी जेल में हैं. वे एक दिन के लिए भी बाहर नहीं निकले. उनके जीवन का ज्यादातर अच्छा दौर बीत चुका है. ऐसे मामलों में जहां जनाक्रोश होता है तो वहीं पुलिस का रवैया हमेशा पहले दोषी मान लेने और फिर वहां से भागने का होता है. ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं. जिस तरह से मीडिया मामले को कवर करता है, वह एक तरह से व्यक्ति के अपराध का फैसला करता है. ऐसे कई आतंकी मामलों में जांच एजेंसियों ने हमें बुरी तरह निराश किया है."
बांबे हाई कोर्ट के फैसले पर क्या कहा था
उन्होंने कहा था, "12 मुस्लिम लोग एक ऐसे अपराध के लिए 18 साल से जेल में हैं, जो उन्होंने किया ही नहीं. 180 परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया. कई घायल हुए उनके लिए कोई समाधान नहीं." इसके साथ ही उन्होंने पूछा था कि क्या सरकार इस मामले की जांच एजेंसी महाराष्ट्र एटीएस के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी?
मुंबई की जीवन रेखा मानी जानी वाली लोकल ट्रेनों में 11 जुलाई 2006 को हुए धमाकों में करीब 200 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 800 लोग घायल हुए थे.
ये भी पढ़ें: इंसानियत शर्मशार! कलयुगी बेटे ने की मां की बेरहमी से पिटाई, वीडियो वायरल
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं