प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
चिकनगुनिया का कोई नया वायरस इस बार पांव नहीं पसार रहा. फाइनल रिपोर्ट एम्स और नेशनल सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को सौंप दी है, जिसके मुताबिक शोध में यह पाया गया कि इस बार मरीजों में 2006 वाला ही वायरस है, जो East Central South African का genotype है.
यह वही वायरस है, जिसके चलते 2006 के आउटब्रेक में कई लोग बीमार पड़े थे. राजधानी में 14 चिकनगुनिया पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद शोध की जिम्मेदारी AIIMS और NCDC को मिली थी. एम्स के वायरोलॉजी विभाग के इंचार्ज डॉ ललित दर ने बताया कि इस बार के वायरस से 2006 के चिकनगुनिया वायरस में 98% समानता है. लिहाजा कोई नया वायरस नहीं है.
चिकनगुनिया में मृत्युदर 0.1% है यानी 1000 में से एक. वह भी तब जब बुजुर्ग हो और साथ कुछ गंभीर बीमारी भी हो. डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर से अक्टूबर तक थोड़ा बचकर रहने की जरूरत है और एक बार अगर किसी को चिकनगुनिया हो गया तो दोबारा नहीं होता.
यह वही वायरस है, जिसके चलते 2006 के आउटब्रेक में कई लोग बीमार पड़े थे. राजधानी में 14 चिकनगुनिया पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद शोध की जिम्मेदारी AIIMS और NCDC को मिली थी. एम्स के वायरोलॉजी विभाग के इंचार्ज डॉ ललित दर ने बताया कि इस बार के वायरस से 2006 के चिकनगुनिया वायरस में 98% समानता है. लिहाजा कोई नया वायरस नहीं है.
चिकनगुनिया में मृत्युदर 0.1% है यानी 1000 में से एक. वह भी तब जब बुजुर्ग हो और साथ कुछ गंभीर बीमारी भी हो. डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर से अक्टूबर तक थोड़ा बचकर रहने की जरूरत है और एक बार अगर किसी को चिकनगुनिया हो गया तो दोबारा नहीं होता.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं