
ऑटोमेशन अपनाने से भारत के आईटी एवं बीपीओ क्षेत्र में तीन लाख से अधिक नौकरियों पर संकट...
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सूचना प्रौद्योगिकी और बीपीओ क्षेत्र में बढ़ रहा है ऑटोमेशन
वर्ष 2022 तक कम कुशल कारीगरों की नौकरी जाने की संभावना है
अमेरिका की एक शोध कंपनी एचएफएस रिसर्च के अध्ययन में खुलासा
यह पहला मौका नहीं है जब ऑटोमेशन से नौकरियों के अवसर कम होने की बात सामने आई हो. इंजीनियरिंग, विनिर्माण, वाहन, आईटी और बैंक जैसे क्षेत्रों में आटोमेशन एक नया चलन है. जैसे-जैसे आटोमेशन अपनाने की गति तेज होगी, विनिर्माण, आईटी और आईटी संबंधित क्षेत्रों, सुरक्षा सेवाओं और कृषि इसका असर बढ़ेगा.
ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग बढ़ने से भारत के सूचना प्रौद्योगिकी और बीपीओ उद्योग में कम कुशलता वाले कर्मियों की संख्या 2016 में घटकर 24 लाख रह गई है जो 2022 में मात्र 17 लाख रह जाएगी.
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हालांकि समीक्षावधि में मध्यम कौशल वाली नौकरियों की संख्या 2022 तक बढ़कर 10 लाख हो जाएगी जो 2016 में नौ लाख थीं. उच्च कौशल वाली नौकरियों की संख्या भी 2022 तक बढ़कर 5,10,000 हो जाएगी जो 2016 में 3,20,000 थी.
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भारत में नौकरियों का यह रुख वैश्विक परिदृश्य के ही अनुरुप है. वैश्विक स्तर पर कम कुशलता वाली नौकरियों की संख्या में 31% गिरावट की संभावना है जबकि मध्यम कुशलता वाली नौकरियों में 13% वृद्धि और उच्च कुशलता वाली नौकरियों में 57% वृद्धि की उम्मीद है. स्वाचालन को अपनाने से भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं बीपीओ क्षेत्र में सभी कौशल स्तर पर 2022 तक नौकरियों का कुल नुकसान 3,20,000 रहने का अनुमान है.
(इनपुट भाषा से भी)
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