बहुचर्चित AGR (Adjusted Gross Revenue) मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने PSU के चार लाख करोड के बकाया में से 96 फीसदी बिल को वापस ले लिया है. DoT की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि 96 फीसदी यानी 3.7 लाख करोड़ रुपये के बिल वापस ले लिए गए हैं. मामले की अगली सुनवाइ जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी. पिछली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने
PSU से AGR का बकाया चार लाख करोड़ रुपये मांगने पर दूरसंचार विभाग को फटकार लगाई थी. अदालत ने कहा था कि इतनी बड़ी मांग के लिए विभाग ने अक्टूबर 2019 के फैसले का दुरुपयोग किया था. इसके साथ ही SC ने विभाग को PSU से मांग पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था. यहां तक कि अपने फैसले का दुरुपयोग करने के लिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की धमकी दी थी. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने दूरसंचार कंपनियों को अपने बकाये के भुगतान के लिए समय सीमा के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया था. केंद्र ने एजीआर बकाया के लिए दूरसंचार कंपनियों से लगभग 1.47 लाख करोड़ रुपये की मांग की है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इस बात के लिए क्या सुरक्षा गारंटी ली जा सकती है ताकि टेलीकॉम कंपनियां समय पर भुगतान करें. वोडाफोन का कहना है कि वोडाफोन की स्थिति "अनिश्चित" है. वह किसी भी और गारंटी देने की स्थिति में नहीं है, वह सिर्फ किश्तों में ही बकाया चुका सकता है. पहले ही सरकार को सात हजार करोड़ रुपये दे चुके हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बकाया न चुकाने वाली टेलीकॉम कंपनियों से दस साल का बही खाता मांगा.साथ ही कहा कि दस साल में दिए गए टैक्स का ब्यौरा भी अदालत में दाखिल करें. अदालत ने केंद्र से कहा कि वो कंपनियों के भुगतान योजना पर विचार करे और अदालत को बताए.
जस्टिस शाह ने कहा कि महामारी के दौरान दूरसंचार एकमात्र क्षेत्र है जो पैसा कमा रहा है. कुछ राशि जमा करनी होगी. सरकार को महामारी के दौरान इस पैसे की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इस बात के लिए क्या सुरक्षा गारंटी ली जा सकती है ताकि टेलीकॉम कंपनियां समय पर भुगतान करें. वोडाफोन का कहना है कि वोडाफोन की स्थिति "अनिश्चित" है. वह किसी भी और गारंटी देने की स्थिति में नहीं है वो सिर्फ किश्तों में ही बकाया चुका सकता है.पहले ही सरकार को सात हजार करोड़ रुपये दे चुके हैं. वोडाफोन की ओर से कहा गया कि वो काम करेगा और AGR बकाया भुगतान करेगा. सरकार के पास वर्तमान में 15 हजार करोड़ बैंक गारंटी है जबकि सालाना AGR भुगतान लगभग 5 हजार करोड़ है. मुकुल रोहतगी ने कहा कि कंपनी को कई वर्षों से कोई लाभ नहीं हुआ, कोई बैंक उसे नई गारंटी नहीं देगा.
इससे पहले, मामले में DoT की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों ने जो प्रस्ताव दिया है, उस पर सरकार को विचार कर जवाब देने का मौका मिलना चाहिए. भारती एयरटेल की ओर से कहा गया कि कंपनी और केंद्र को आपस में बैठकर विचार करना होगा. सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि समायोजित सकल राजस्व (AGR) के लिए टेलीकॉम कंपनियों को बकाये का भुगतान करने का समय मिलेगा या नहीं. सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार की अर्जी पर विचार कर रहा है जिसमें और दूरसंचार कंपनियों से बकाया प्राप्त करने के लिए 20 साल का समय मांगा गया है. टेलीकॉम कंपनियों ने इस संबंध में अदालत में हलफनामा भी दाखिल किया है.
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