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This Article is From Feb 10, 2016

लांस नायक हनुमंतप्पा की हालत बेहद नाजुक, दिमाग में ऑक्सीजन की कमी, निमोनिया के भी लक्षण

लांस नायक हनुमंतप्पा की हालत बेहद नाजुक, दिमाग में ऑक्सीजन की कमी, निमोनिया के भी लक्षण
नई दिल्ली: सियाचिन ग्लेशियर में छह दिन तक 35 फुट बर्फ के नीचे दबे रहे जवान लांस नायक हनुमंतप्पा की हालत बेहद नाजुक है। उनके हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है और डाक्टरों द्वारा जारी तीसरे मेडिकल बुलेटिन में बताया गया कि उनके दिमाग तक बेहद कम ऑक्सीज़न पहुंच रही है और फेफड़ों में भी निमोनिया के लक्षण हैं। हनुमंतप्पा फिलहाल कोमा में हैं और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। उनका लिवर और किडनी ठीक से काम नहीं कर रही है।

सदमा और लो ब्लड प्रेशर का असर
सदमा और लो ब्लड प्रेशर का असर भी दिख रहा है। शाम को जारी मेडिकल बुलेटिन में रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल के डॉक्टर ने अगले 24 से 48 घंटे बेहद अहम बताए हैं। पूरे देश में हनुमंतप्पा के जल्द ठीक होने के लिए दुआ की जा रही है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और थल सेना प्रमुख ने अस्पताल जाकर हनुमंतप्पा का हाल चाल जाना। उनका परिवार भी दिल्ली पहुंच गया है।

क्या हुआ था उस दिन
सियाचिन में जो आफत हमारी पेट्रोल पार्टी पर टूटी उसे कुछ यूं समझिए कि बर्फ का एक बड़ा पहाड़ टूटकर आ गिरा। इस पहाड़ की लंबाई करीब 1000 मीटर और चौड़ाई 800 मीटर थी। इसके टूटते ही बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें जवानों पर गिर गईं।

यह हमारे लिए पुनर्जन्म है : जवान की पत्नी
लांस नायक हनुमंतप्पा कोप्पाड की पत्नी महादेवी का कहना है कि ‘यह हम सभी के लिए पुनर्जन्म है। सियाचिन ग्लेशियर में छह दिनों तक बर्फ के नीचे दबे रहने के बाद हनुमंतप्पा के चमत्कारिक रूप से बचने की खबर पर परिवार ने राहत की सांस लेते हुए यह प्रतिक्रिया जताई। धारवाड़ जिले के कुंडागोल तालुक के बेटादूर गांव में रहने वाली महादेवी ने कहा, मेरे पति अपनी जिंदगी में अपनी दादी मां से प्रेरित थे। उनकी प्रार्थना ने सियाचिन में उन्हें मौत के बचा लिया। यह हम सबके लिए पुनर्जन्म है।

महादेवी ने कहा कि जब इस त्रासदी का पता चला तो परिवार एक दुखदायी स्थिति से गुजर रहा था लेकिन उनके जिंदा होने की खबर से चेहरे पर मुस्कान लौट आई है। उन्होंने कहा, हिमस्खलन होने के बाद हम दुखदायी स्थिति से गुजर रहे थे..उनके जिंदा होने की खबर से हमारे चेहरे पर मुस्कान लौट आई। हम सभी रो रहे थे और लगभग उम्मीद छोड़ चुके थे। मुझे पता नहीं चल रहा था कि क्या करूं -- मेरी डेढ़ वर्ष की बेटी है।
(इनपुट्स भाषा से भी)

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