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मैं जिंदा हूं... समस्तीपुर में 63 साल का पूर्व फौजी क्यों गले में तख्ती लटकाए घूम रहा

मामला समस्तीपुर के झखरा गांव का है. भारतीय सेना से 2003 में सेवानिवृत्त हुए अरुण कुमार ठाकुर को सरकारी दस्तावेजों में 11 साल पहले ही 'मृत' घोषित कर दिया गया है. अविनाश कुमार की रिपोर्ट

मैं जिंदा हूं... समस्तीपुर में 63 साल का पूर्व फौजी क्यों गले में तख्ती लटकाए घूम रहा
  • समस्तीपुर जिले के 63 वर्षीय रिटायर्ड फौजी अरुण कुमार ठाकुर को सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित किया गया है
  • अरुण ठाकुर के आरोप हैं कि भू-माफियाओं ने फर्जी तरीके से उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर जमीन पर कब्जा किया
  • माफियाओं ने उनके दोनों बेटों को शराब की लत लगाकर नशे की हालत में जमीन अपने नाम लिखवा ली है
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कभी-कभी हकीकत सिनेमा के पर्दे से भी ज्यादा कड़वी और चौंकाने वाली होती है. बिहार के समस्तीपुर जिले से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसने सरकारी तंत्र और भू-माफियाओं के गठजोड़ की पोल खोलकर रख दी है. यहां एक 63 वर्षीय रिटायर्ड फौजी, जो देश की सीमाओं की रक्षा कर चुका है, आज खुद को जिंदा साबित करने के लिए सिस्टम की चौखट पर न्याय की भीख मांग रहा है. फिल्म ‘कागज' में अभिनेता पंकज त्रिपाठी भी कुछ इसी तरह खुद को जिंदा साबित करने के लिए सिस्टम से जूझते नजर आते हैं.

क्या है पूरा मामला?

मामला कल्याणपुर प्रखंड के झखरा गांव का है. भारतीय सेना से 2003 में सेवानिवृत्त हुए अरुण कुमार ठाकुर को सरकारी दस्तावेजों में 11 साल पहले ही 'मृत' घोषित कर दिया गया है. चौंकाने वाली बात यह है कि अरुण ठाकुर आज भी जीवित हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में उनकी मौत 2014 में ही दर्ज कर दी गई है.

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जमीन हड़पने के लिए रची गई साजिश

अरुण ठाकुर का आरोप है कि गांव के कुछ रसूखदार भू-माफियाओं ने उनकी कीमती जमीन पर कब्जा करने के लिए यह खतरनाक खेल रचा. माफियाओं ने साल 2014 में फर्जी तरीके से अरुण ठाकुर का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया. अरुण ठाकुर को इस फर्जीवाड़े की भनक तब लगी जब हाल ही में कुछ लोग उनकी जमीन पर कब्जा करने पहुंचे और दावा किया कि फौजी की मौत तो 11 साल पहले हो चुकी है.

पीड़ित फौजी ने यह भी आरोप लगाया कि माफियाओं ने उनके दोनों बेटों को शराब की लत लगाकर नशे की हालत में उनकी करीब छह कट्ठा जमीन अपने नाम लिखवा ली.

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सीने पर तख्ती टांगकर मांग रहे न्याय

सिस्टम की संवेदनहीनता से तंग आकर अरुण ठाकुर अब गले में एक तख्ती लटकाकर गांव की गलियों और सरकारी दफ्तरों में घूम रहे हैं. उस तख्ती पर बड़े अक्षरों में लिखा है- “मैं जिंदा हूं...”. यह नजारा न केवल राहगीरों को चौंका रहा है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रहा है.

अरुण कुमार ठाकुर (रिटायर्ड फौजी) ने कहा, "जब मैं अपने जिंदा होने का सबूत लेकर अंचल कार्यालय पहुंचा, तो अधिकारियों ने मुझे पंचायत सचिव के पास भेजकर पल्ला झाड़ लिया. जिस देश के लिए मैंने अपनी जवानी कुर्बान कर दी, आज उसी देश का सिस्टम मुझे मृत मान चुका है."


डीएम ने दिए जांच के आदेश

मामला जब तूल पकड़ने लगा, तो अरुण ठाकुर अपनी बहू के साथ समस्तीपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिलाधिकारी (DM) रोशन कुशवाहा को आवेदन सौंपा. डीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है.

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