दार्जिलिंग के इलाके में अलग गोरखालैंड की मांग करने वाली गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गोरखा ग्रुप के नेताओं को बातचीत करने के लिए बुलाया है. माना जा रहा है ये कि बातचीत पहाड़ी इलाके में फैली अशांति को कम करने की दिशा में कारगर हो सकती है. एक बयान में, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM), गोरखालैंड आंदोलन की अगुवाई करने वाले संगठन ने कहा कि उसके नेता बिनॉय तमांग को 3 नवंबर को बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया है.
गोरखा नेता बिमल गुरंग की वापसी से पहाड़ी इलाके में बेचैनी बढ़ी है. पिछले दिनों बिमल गुरंग को कोलकाता में देखा गया था. पश्चिम बंगाल पुलिस लंबे समय से गुरंग की तलाश कर रही थी. गुरंग 2017 से फरार चल रहे थे. पिछले बुधवार 21 अक्टूबर को गुरंग ने एनडीए छोड़ने का ऐलान किया था और आगामी विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही थी.
सितंबर 2017 में गोरखा नेताओं के साथ झड़प में एक पुलिसकर्मी की हत्या के बाद से ही गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के पूर्व नेता गुरंग अंडरग्राउंड था. गुरंग पर UAPA समेत कई आरोप हैं.
गुरंग की वापसी और एनडीए से नाता तोड़कर तृणमूल कांग्रेस के प्रति वफादारी जताने से विपक्षी दलों ने राज्य के पहाड़ी इलाकों में फिर से आंदोलन के आगे बढ़ने और अशांति की आशंका जताई है. भाजपा और कांग्रेस ने पूछा है कि क्या मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब गोरखालैंड आंदोलन को नहीं कोसेंगी. ममता ने कहा था कि राज्य पहले ही दो बार बंट चुका है- एक बार मुगल काल में फिर ब्रिटिश काल में, अब वो तीसरा बंटवारा नहीं होने देंगी.
माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में गोरखालैंड का मुद्दा सियासी घमासान का मामला बन सकता है. बंगाल बीजेपी के नेता सयंतन बोस ने ममता बनर्जी की मंशा पर सवाल उठाए हैं और पूछा है कि क्या दीदी राज्य का बंटवारा करने जा रही हैं? उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और बीजेपी ने गोरखा नेताओं के इस मंसूबे को पूरा नहीं होने दिया है. तभी वो भागकर एनडीएस दीदी की गोद में जा बैठे हैं.
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