चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Landing)की ऐतिहासिक कामयाबी के बाद अब इसके सियासी नफे नुकसान पर चर्चा शुरू हो गई है. बीजेपी ने इसका श्रेय वैज्ञानिकों के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को भी दिया है. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की नीतियों के चलते आज देश इस मुकाम तक पहुंचा. चुनावी साल है. लिहाजा राजनीति होना स्वाभाविक भी है. चांद पर कदम रखने का श्रेय लेने की होड़ भी स्वाभाविक है. लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) की इस ऐतिहासिक कामयाबी ने पूरी दुनिया में भारत को एक अलग ही मुकाम पर पहुंचा दिया है. आइए समझते हैं चंद्रयान-3 की सफलता के सियासी नफा-नुकसान का गुणा-गणित...
चंद्रयान-3 ने यह कामयाबी ऐसे वक्त में हासिल की, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स बैठक में हिस्सा लेने के लिए जोहानसबर्ग में थे. भारत की इस उपलब्धि पर पीएम को बधाई देने के लिए नेताओं में होड़ लग गई. प्रेस इंफॉरमेशन ब्यूरो (PIB) ने ऐसी कई तस्वीरें जारी की हैं, जिनमें पीएम को दूसरे देशों के नेता बधाइयां दे रहे हैं.
बीजेपी ने जारी किया वीडियो
चंद्रयान-3 का क्रेडिट लेने के विषय पर लौटते हैं. बीजेपी ने गुरुवार एक वीडियो जारी किया. इसमें साल 2019 में चंद्रयान-2 की नाकामी से सबक और सीख लेते हुए पीएम मोदी की अगुवाई में चंद्रयान-3 की सफलता पाने का जिक्र किया गया है. पीएम मोदी भी दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस की यात्रा समाप्त कर सीधे बंगलुरु पहुंच कर इसरो वैज्ञानिकों से मिल सकते हैं. वहीं, कांग्रेस भी पीछे नहीं हैं.
सोनिया गांधी ने इसरो चीफ को लिखी चिट्ठी
दूसरी ओर, यूपीए की चेयरपर्सन और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसरो चीफ एस सोमनाथ को चिट्ठी लिखी है. सोनिया ने वैज्ञानिकों को इस शानदार उपलब्धि की बधाई दी. कर्नाटक के सीएम सिद्दारमैया भी गुरुवार को इसरो जाकर वैज्ञानिकों से मिल आए.
चंद्रयान-3 की सफलता का क्या असर रहेगा?
इससे पहले भी देश के खाते में आईं कामयाबियों को चुनावों में भुनाया जाता रहा है. सवाल यह है कि चंद्रयान-3 की सफलता का क्या असर रहेगा? ये जानने के लिए NDTV ने वरिष्ठ पत्रकार संजय सिंह और विनोद अग्निहोत्री से बात की.
संजय सिंह कहते हैं, "चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद देश में खुशी का माहौल है. जब ऐसा माहौल होता है, तो दो चीजें होती है. कामयाबी क्यों मिली कैसे मिली... इन सबका क्रेडिट हमारे इसरो के वैज्ञानिकों को जाता है. लेकिन दूसरी चीज गौर करने वाली है, वो सरकार का सपोर्ट. मतलब ऐसे मिशन के लिए सरकार ने कौन से संसाधन मुहैया कराएं. वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन मिला या नहीं. कौन सा सपोर्ट दिया गया वगैरह... इस प्रक्रिया को लेकर भी लोग जजमेंट करते हैं."
वहीं, इसरो के मिशन को लेकर हो रही राजनीति पर विनोद अग्निहोत्री ने कहा, "वैज्ञानिकों के ऐसे कार्यक्रम निरंतरता में चलते हैं. निश्चित रूप से हम इसरो की स्थापना का क्रेडिट नेहरू को देते हैं. आर्यभट्ट और भास्कर की लॉन्चिंग का क्रेडिट हम इंदिरा गांधी को देते हैं. परमाणु परीक्षण का क्रेडिट अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी को दिया था. इसी तरह आज अगर चंद्रयान-3 सफल हुआ है, तो इसमें पीएम मोदी का योगदान भी है."
अग्निहोत्री ने आगे कहा, "जब इसरो से लेकर चांद तक चंद्रयान की जो यात्रा रही है, उसमें जो भी सरकारें थी. सबको क्रेडिट देते हैं. चंद्रयान-3 की सफलता का क्रेडिट जाहिर तौर पर मौजूदा सरकार को देना चाहिए. मेहनत, श्रम, तपस्या, साधना वैज्ञानिकों की है. उनकी हिम्मत बढ़ाना, उन्हें प्रोत्साहित करना और उनके लिए संसाधन जुटाना राजनीतिक नेतृत्व की जिम्मेदारी है."
क्या लोकसभा चुनाव में चंद्रयान-3 की सफलता के मुद्दे पर वोट मिलेगा? इस सवाल के जवाब में संजय सिंह कहते हैं, "ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. जाहिर तौर पर मौजूदा सरकार इसे हाइलाइट करेगी. इसका असर भी पडे़गा. लेकिन जो विपक्षी गठबंधन है, उसमें एक बड़े अहम नेता हैं-नीतीश कुमार. नीतीश कुमार को पता ही नहीं था कि चंद्रयान-3 है क्या और ये कहां जा रहा है. कब लैंड कर रहा है. ये चीजें चर्चा में आनी है. चंद्रयान-3 को लेकर कुछ नेताओं ने अजीब बयान भी दिए, बेशक उनके बयान हास्यास्पद थे. लेकिन इससे चंद्रयान-3 चर्चा में तो आ गया. वहीं, पीएम मोदी ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद जो बातें कही, वो भी टॉकिंग पॉइंट बन गया. जाहिर तौर पर चुनाव में इसे भुनाया जाएगा."
सितंबर की शुरुआत में जी-20 समिट होने जा रही है. भारत एक तरह से ग्लोबल साउथ की अगुवाई करता दिख रहा है. ऐसे में वैश्विक मंच पर भारत का कद कितना बढ़ता है? इसका जवाब देते हुए संजय सिंह ने कहा, "जी-20 को भारत जिस तरह से शोकेस कर रहा है. उससे समझा जा सकता है कि भारत किस दिशा में आगे बढ़ रहा है. अब जाहिर तौर पर चंद्रयान-3 की सफलता का असर भी इस समिट में दिखेगा.
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