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This Article is From Aug 31, 2023

आदित्य L1 मिशन : लैग्रेंज प्वाइंट 1 क्या है, किस स्थान से ISRO करेगा सूर्य का अध्ययन?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन दो सितंबर को सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से अपना पहला अंतरिक्ष-आधारित सौर मिशन आदित्य एल1 लॉन्च करने के लिए तैयार

आदित्य L1 मिशन : लैग्रेंज प्वाइंट 1 क्या है, किस स्थान से ISRO करेगा सूर्य का अध्ययन?
आदित्य एल1 सुदूर स्थान से सौर कोरोना का अध्ययन करेगा.

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दो सितंबर को सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से अपना पहला अंतरिक्ष-आधारित सौर मिशन आदित्य एल1 लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है. आदित्य एल1 सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु एल1 पर एक दूरस्थ स्थान से सौर कोरोना का निरीक्षण करेगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर है.

पीटीआई के मुताबिक, वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद सूर्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में नयी जानकारी मिल सकेगी. आने वाले दशकों और सदियों में पृथ्वी पर संभावित जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए यह आंकड़े महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.

सौर भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर दीपांकर बनर्जी ने कहा कि आदित्य एल-1 पहले लैग्रेंजियन बिंदु तक जाएगा जो पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है और फिर वह उस डेटा को प्रसारित करेगा जिसका अधिकांश भाग पहली बार अंतरिक्ष में किसी प्लेटफॉर्म से वैज्ञानिक समुदाय के पास आएगा. 

सौर भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर दीपांकर बनर्जी ने कहा, आदित्य एल1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर फर्स्ट लैग्रेन्जियन बिंदु तक जाएगा, और डेटा संचारित करेगा, जिसमें से अधिकांश डेटा पहली बार अंतरिक्ष में किसी प्लेटफॉर्म से वैज्ञानिक समुदाय के पास आएगा. प्रोफेसर बनर्जी उस टीम का हिस्सा हैं जिसने 10 साल से भी अधिक पहले इस योजना पर काम किया था.

लैग्रेंज प्वाइंट 1 क्या है?

लैग्रेंज प्वाइंट ऐसे संतुलन बिंदु को कहा जाता है जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वीय बल बराबर होते हैं. आदित्य एल1 को सूर्य-पृथ्वी की व्यवस्था के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. यहां से सूर्य को बिना किसी व्यवधान या ग्रहण के लगातार देखने का लाभ मिलेगा.

सौर अवलोकनों के लिए L1 बिंदु को लैग्रेंजियन बिंदुओं में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसकी खोज गणितज्ञ जोसेफ लुईस लैग्रेंज ने की थी.

इसरो ने कहा है कि, "एल 1 बिंदु के चारों ओर हेलो कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य को देखने का प्रमुख लाभ मिलता है. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव को देखने का एक बड़ा लाभ मिलेगा." 

सूर्य का अध्ययन करने के लिए पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला

सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला- आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान, पीएसएलवी-सी57 रॉकेट का उपयोग करके लॉन्च किया जाएगा. आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान सूर्य के कोरोना, क्रोमोस्फीयर, फोटोस्फीयर और सौर हवा का अध्ययन करने के लिए सात पेलोड से लैस होगा.

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