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This Article is From May 24, 2015

एंटी करप्शन ब्यूरो का एक्शन : क्या 100 दिन में कम हुआ करप्शन?

एंटी करप्शन ब्यूरो का एक्शन : क्या 100 दिन में कम हुआ करप्शन?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की फाइल फोटो
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शपथ लेने के दौरान कहा था 'अगर कोई पैसा मांगे तो मना मत करना सेटिंग कर लेना, अपने मोबाइल में रिकॉर्डिंग कर लेना, हमें बताना, हम उसे जेल भेज देंगे। हम पांच साल में भ्रष्टाचार खत्म कर देंगे।'

केजरीवाल की भ्रष्टाचार विरोधी लड़ाई का भार इसी एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के कंधों पर है। पूरे शहर में भ्रष्टाचार को रोकने और भ्रष्टाचारियों को पकड़ने के दावे से भरे पोस्टर और होर्डिंग लगाकर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन भ्रष्टाचारियों को पकड़ने वाली एसीबी की हालत ऐसी है कि वो खुद अपने पैरों पर खड़ा होने की बाट जोह रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, एसीबी के पास अभी कुल 110 कर्मचारी हैं, जबकि इसमें जरूरत 239 लोगों की है। एसीबी दफ्तर में कुल 7 गाड़ियां है, जिनमें 5 की हालत खराब है इसीलिए दिल्ली सरकार से 25 गाड़ियां और मांगी गई हैं।

सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार ने एसीबी की सभी मांगों को मंजूरी दे दी है। एसीबी के कर्मचारियों का विशेष भत्ता भी 35 फीसदी बढ़ा दिया गया है।

हेल्पलाइन 1031 पर अब तक सवा लाख से ज्यादा कॉल्स आ चुकी हैं, जिनमें से 252 एसीबी की कार्रवाई के लिए सही पाई गईं। पिछले 100 दिनों में एसीबी ने भ्रष्टाचार से जुड़े 14 केस दर्ज किए और 38 लोगों को गिरफ्तार किया।

गिरफ्तार लोगों में ज़्यादातर जल बोर्ड, शिक्षा विभाग और एग्रो मार्केट बोर्ड के हैं, दिल्ली पुलिस के खिलाफ भी दो मामले दर्ज हुए और एक गिरफ्तारी हुई। एसीबी की कार्रवाई पर 165 लोगों को सस्पेंड किया गया।

केजरीवाल की पिछली 49 दिन की सरकार में 18 केस दर्ज हुए थे और 15 लोग गिरफ्तार किए गए। जबकि राष्ट्रपति शासन के दौरान एक साल में 48 केस दर्ज हुए, लेकिन महज 24 लोग गिरफ्तार हुए। नई सरकार ने एसीबी को मजबूत करते हुए अब सरकार में बिना किसी की अनुमति लिए खुद एफआईआर दर्ज करने का अधिकार दे दिया है।

एसीबी के कार्यक्षेत्र को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार में टकराव जारी है। केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक, दिल्ली सरकार की एसीबी केंद्र सरकार के अधीन महकमों के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती। शायद यही वजह है कि कॉमनवेल्थ, जल बोर्ड, ट्रांसपोर्ट, सीएनजी घोटालों जैसे बड़े केस अब तक किसी अंजाम तक नहीं पहुंचे हैं।

दिल्ली सरकार का दावा है कि उन्होंने दिल्ली में 60 से 70 फीसदी भ्रष्टाचार कम कर दिया है। हालांकि हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।

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