सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बीजेपी प्रमुख अमित शाह के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।
नई दिल्ली:
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने हर्ष मंदर की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें शाह को इस केस से आरोप मुक्त करने के फैसले को रद्द करने की मांग की गई थी. गौरतलब है कि सोराबुद्दीन केस में क्लीनचिट के खिलाफ यह याचिका दाखिल की गई थी.
कोर्ट ने कहा कि रेस्पांडेंट यानी अमित शाह एक राजनीतिक हस्ती हैं, हम राजनीतिक प्रभाव को समझते हैं लेकिन इस केस में हम मेरिट में नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा कि इस केस में उन्हें बार-बार आरोपमुक्त किया गया, क्या उनके खिलाफ बार-बार कानूनी कार्यवाही की जा सकती है.
गौरतलब है कि सोहराबुद्दीन केस में अमित शाह को क्लीन चिट के देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि मुंबई की सीबीआई कोर्ट के अमित शाह को इस केस से आरोपमुक्त करने के फैसले को रद्द किया जाए. पूर्व IAS हर्ष मंदर ने याचिका में ये भी कहा था कि कोर्ट सोहराबुद्दीन के भाई रबीबुद्दीन शेख की भी सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए कि आखिर उसने बांबे हाईकोर्ट से अपनी अर्जी वापस क्यों ली, जबकि वे लगातार एनकाउंटर मामले में शुरुआत से ही अदालती लड़ाई लड़ते रहे हैं.
दरअसल 30 दिसंबर 2014 को मुंबई की सीबीआई कोर्ट ने अमित शाह को इस केस से आरोपमुक्त कर दिया था और कहा था कि उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया गया था. पिछले साल नवंबर में बांबे हाईकोर्ट ने रबीबुद्दीन की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया था जिसमें उसने कहा था कि वह स्वास्थ्य कारणों से केस नहीं लड़ सकता. इसी पर हर्ष मंदर ने मांग की है कि इसके पीछे कारण की जांच होनी चाहिए। हालांकि बांबे हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि ये सुनवाई योग्य नहीं है और याचिकाकर्ता इसमें पीड़ित पक्ष नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि रेस्पांडेंट यानी अमित शाह एक राजनीतिक हस्ती हैं, हम राजनीतिक प्रभाव को समझते हैं लेकिन इस केस में हम मेरिट में नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा कि इस केस में उन्हें बार-बार आरोपमुक्त किया गया, क्या उनके खिलाफ बार-बार कानूनी कार्यवाही की जा सकती है.
गौरतलब है कि सोहराबुद्दीन केस में अमित शाह को क्लीन चिट के देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि मुंबई की सीबीआई कोर्ट के अमित शाह को इस केस से आरोपमुक्त करने के फैसले को रद्द किया जाए. पूर्व IAS हर्ष मंदर ने याचिका में ये भी कहा था कि कोर्ट सोहराबुद्दीन के भाई रबीबुद्दीन शेख की भी सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए कि आखिर उसने बांबे हाईकोर्ट से अपनी अर्जी वापस क्यों ली, जबकि वे लगातार एनकाउंटर मामले में शुरुआत से ही अदालती लड़ाई लड़ते रहे हैं.
दरअसल 30 दिसंबर 2014 को मुंबई की सीबीआई कोर्ट ने अमित शाह को इस केस से आरोपमुक्त कर दिया था और कहा था कि उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया गया था. पिछले साल नवंबर में बांबे हाईकोर्ट ने रबीबुद्दीन की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया था जिसमें उसने कहा था कि वह स्वास्थ्य कारणों से केस नहीं लड़ सकता. इसी पर हर्ष मंदर ने मांग की है कि इसके पीछे कारण की जांच होनी चाहिए। हालांकि बांबे हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि ये सुनवाई योग्य नहीं है और याचिकाकर्ता इसमें पीड़ित पक्ष नहीं है.
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