कांग्रेस की सरकार के लिए आर्थिक फैसले लेने का समय पहले ही जा चुका था…इसलिए चिदंबरम ने आज जो कहा, उसमें ज्यादा कुछ करने की उम्मीद पहले से नहीं थी, लेकिन फिर भी… फौजियों के लिए ‘एक रैंक−एक पेंशन’ जैसी घोषणाएं कांग्रेस की गिरती लोकप्रियता को बचाने की कोशिश थी। इस घोषणा के तुरंत बाद राहुल गांधी ने मीडिया से मुखातिब होकर इसका श्रेय भी लेने की कोशिश की और कहा कि बहुत सारे फौजियों के डेलिगेशन ने उनसे इस विषय पर मुलाकात की थी।
साथ में यह भी साफ था एक ऐसी परंपरा में, जहां टैक्स पर कुछ भी नहीं किया जा सकता….इस अंतरिम बजट में मध्यवर्ग को अपनी तरफ खींचने की कोशिश जरूर की गई है… खासतौर पर एक्साइज और छोटी−बड़ी गाड़ियों और स्कूटर के मसले पर..
चिदंबरम ने एक बार फिर यूपीए सरकार की 10 साल की तरक्की की कहानी दोहराई… और कृषि के क्षेत्र में तरक्की को मुबारकबाद दी। लेकिन यहां सवाल बहुत साफ है कि टेलीविजन, अखबार और रेडियो तीनों के विज्ञपनों के जरिये, अपनी उपलब्धियां गिनाने वाली यूपीए सरकार की तरफ लोगों का गुस्सा क्या इस तरक्की के गुणगान से कम होगा?
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