अभय चौटाला की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति रखने के मामले में आरोपी आईएनएलडी प्रमुख ओपी चौटाला के बेटे अभय चौटाला के बिना इजाजत रियो ओलिंपिक जाने को लेकर सीबीआई ने दिल्ली की एक अदालत से उनकी जमानत रद्द करने की मांग की.
अदालत से इस मामले में चौटाला को आत्मसमर्पण करने का निर्देश देने की मांग करते हुए सीबीआई ने कहा कि वह इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष नहीं हैं और ऐसे में ओलिंपिक में शामिल होने के लिए ब्राजील की यात्रा करने में कोई ‘जनहित’ नहीं है.
विशेष सरकारी वकील अजय कुमार गुप्ता ने दलील दी कि अदालत के लिए जमानत आदेश में यह लिखना जरूरी नहीं है कि आरोपी देश छोड़ने से पहले इजाजत लें. उन्होंने कहा, 'यदि अदालती आदेश में इसका जिक्र नहीं है तो क्या इसका मतलब होता है कि आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है. इसी तरह, इसका तात्पर्य यह होता है कि आरोपी को विदेश जाने से पहले अदालत से इजाजत लेनी होगी.'
दलीलें सुनने के पश्चात विशेष सीबीआई न्यायाधीश संजय गर्ग प्रथम ने इस मुद्दे पर आदेश 22 अगस्त के लिए सुरक्षित रख लिया.
अदालत ने पहले सीबीआई का जवाब मांगा था, क्योंकि अभय के वकील ने इस आधार पर उनके लिए व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी थी कि वह ओलिंपिक के लिए रियो डि जेनेरियो गए हैं. अदालत ने अचरज जताया कि कि कैसे यह नेता उसकी इजाजत के बगैर देश से बाहर चले गए.
बचाव पक्ष के वकील ने कहा था कि खिलाड़ी प्रशासक और इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष होने के नाते अभय 2-25 अगस्त के दौरान ओलिंपिक में शामिल होने गए हैं. वैसे भी जमानत आदेश में अदालत ने विदेश जाने के वास्ते उसकी अनुमति हासिल करने की कोई शर्त नहीं लगायी है.
अदालत ने इस मामले में कुछ और दस्तावेज पेश करने की मांग संबंधी सीबीआई अर्जी पर दलीलें सुनी और अपना आदेश 22 अगस्त के लिए सुरक्षित रख लिया. बचाव पक्ष ने इस मांग का विरोध किया.
सीबीआई ने कांग्रेस नेता शमशेर सिंह सुरजेवाला की शिकायत पर इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पी चौटाला तथा उनके बेटों अजय एवं अभय के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कराया था.
चौटाला और अजय को इसी साल की शुरुआत में हाईकोर्ट ने वर्ष 1999-2000 के जूनियर शिक्षक भर्ती घोटाले में दस साल की कैद की सजा सुनायी थी. सीबीआई ने 26 मार्च, 2010 को चौटाला के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर 6.09 करोड़ रुपये की संपत्ति कथित रूप से रखने का आरोप लगाया था, जो 1993-2006 के दौरान अपनी कानूनी आय से बहुत अधिक था. दो ऐसे ही मामले उनके बेटों - अजय एवं अभय के खिलाफ चल रहे हैं.
अपने आरोपपत्र में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि चौटाला की संपत्ति की उस अवधि में उनकी 3.22 करोड़ की आय से 189 फीसदी अधिक थी. अभय के पास वर्ष 2000-2005 के दौरान के आयकर रिकार्ड के अनुसार 22.89 करोड़ की आय से पांच गुणा अधिक की संपत्ति थी. एजेंसी ने 119.69 करोड़ रुपये की संपत्ति मिलने का दावा किया था. अजय के खिलाफ भी ऐसा ही मामला है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अदालत से इस मामले में चौटाला को आत्मसमर्पण करने का निर्देश देने की मांग करते हुए सीबीआई ने कहा कि वह इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष नहीं हैं और ऐसे में ओलिंपिक में शामिल होने के लिए ब्राजील की यात्रा करने में कोई ‘जनहित’ नहीं है.
विशेष सरकारी वकील अजय कुमार गुप्ता ने दलील दी कि अदालत के लिए जमानत आदेश में यह लिखना जरूरी नहीं है कि आरोपी देश छोड़ने से पहले इजाजत लें. उन्होंने कहा, 'यदि अदालती आदेश में इसका जिक्र नहीं है तो क्या इसका मतलब होता है कि आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है. इसी तरह, इसका तात्पर्य यह होता है कि आरोपी को विदेश जाने से पहले अदालत से इजाजत लेनी होगी.'
दलीलें सुनने के पश्चात विशेष सीबीआई न्यायाधीश संजय गर्ग प्रथम ने इस मुद्दे पर आदेश 22 अगस्त के लिए सुरक्षित रख लिया.
अदालत ने पहले सीबीआई का जवाब मांगा था, क्योंकि अभय के वकील ने इस आधार पर उनके लिए व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी थी कि वह ओलिंपिक के लिए रियो डि जेनेरियो गए हैं. अदालत ने अचरज जताया कि कि कैसे यह नेता उसकी इजाजत के बगैर देश से बाहर चले गए.
बचाव पक्ष के वकील ने कहा था कि खिलाड़ी प्रशासक और इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष होने के नाते अभय 2-25 अगस्त के दौरान ओलिंपिक में शामिल होने गए हैं. वैसे भी जमानत आदेश में अदालत ने विदेश जाने के वास्ते उसकी अनुमति हासिल करने की कोई शर्त नहीं लगायी है.
अदालत ने इस मामले में कुछ और दस्तावेज पेश करने की मांग संबंधी सीबीआई अर्जी पर दलीलें सुनी और अपना आदेश 22 अगस्त के लिए सुरक्षित रख लिया. बचाव पक्ष ने इस मांग का विरोध किया.
सीबीआई ने कांग्रेस नेता शमशेर सिंह सुरजेवाला की शिकायत पर इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पी चौटाला तथा उनके बेटों अजय एवं अभय के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कराया था.
चौटाला और अजय को इसी साल की शुरुआत में हाईकोर्ट ने वर्ष 1999-2000 के जूनियर शिक्षक भर्ती घोटाले में दस साल की कैद की सजा सुनायी थी. सीबीआई ने 26 मार्च, 2010 को चौटाला के खिलाफ आरोपपत्र दायर कर 6.09 करोड़ रुपये की संपत्ति कथित रूप से रखने का आरोप लगाया था, जो 1993-2006 के दौरान अपनी कानूनी आय से बहुत अधिक था. दो ऐसे ही मामले उनके बेटों - अजय एवं अभय के खिलाफ चल रहे हैं.
अपने आरोपपत्र में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि चौटाला की संपत्ति की उस अवधि में उनकी 3.22 करोड़ की आय से 189 फीसदी अधिक थी. अभय के पास वर्ष 2000-2005 के दौरान के आयकर रिकार्ड के अनुसार 22.89 करोड़ की आय से पांच गुणा अधिक की संपत्ति थी. एजेंसी ने 119.69 करोड़ रुपये की संपत्ति मिलने का दावा किया था. अजय के खिलाफ भी ऐसा ही मामला है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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