अब्दुल हमीद भट्ट (Abdul Hamid Bhat) श्रीनगर की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल वर्कशॉप में से एक रहीम मोटर्स ( Rahim Motors) के मालिक हैं. अब्दुल हमीद ने अपने करियर की शुरुआत स्कूटर मैकेनिक के रूप में की थी. लेकिन उनका जुनून कश्मीर घाटी में ग्रीन स्पेस बनाने का है. वे ऑटोमोबाइल कारोबार से अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा इस्तेमाल कर रहीम ग्रीन्स नामक एक उद्यम में निवेश कर रहे हैं. अब तक अब्दुल हमीद ने बंजर भूमि और वन क्षेत्रों में दो लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं. जिन्हें वर्षों से बड़े पैमाने पर बर्बरता का सामना करना पड़ा है. साल 2030 तक वे घाटी में दस लाख पेड़ लगाने के अपने मिशन को पूरा करने की योजना बना रहे हैं. बडगाम जिले में, लकड़ी तस्करों द्वारा हजारों अल्पाइन पेड़ों को काटे जाने के बाद सुथारन (Sutharan) के जंगल नष्ट हो गया. दस साल पहले अब्दुल हमीद ने वहां वनीकरण शुरू करने का फैसला किया और यहां अब एक घना अल्पाइन जंगल बन गया है.
इस बारे में अब्दुल हमीद ने कहा कि "मैं बहुत खुशी महसूस कर रहा हूं. अगर आप 10 साल पहले यहां आए थे, तो ये रेगिस्तान की तरह था. सभी पेड़ काट दिए गए थे, केवल पांच से 10 पेड़ ही बचे थे. आज ये एक हरा-भरा जंगल है. मेरे पास कोई फंड जुटाने की प्रणाली नहीं है और न ही कोई एनजीओ है. मैं अपनी कमाई से खर्च कर रहा हूं. आम आदमी की सामाजिक जिम्मेदारी की अवधारणा का विज्ञापन करें, आप जो कुछ भी कमाते हैं या सीखते हैं ,आप समाज में क्या लौटाएंगे. लेकिन लकड़ी तस्करों सहित स्थानीय ग्रामीणों के समर्थन के बिना यह संभव नहीं था“.
Sutharan के ग्राम प्रधान गुलाम मोहिउद्दीन के अनुसार अब्दुल हमीद द्वारा वृक्षारोपण शुरू करने के बाद, वे मिशन में शामिल हो गए और लोगों को जंगल उगाने का एक कारण दिया. मोहिउद्दीन ने आगे कहा कि “इस क्षेत्र के लोग को केवल वनों को काटने के पता था, तभी एक डॉक्टर शेख हमीद साहब को यहां ले आए. 2012 के बाद से हमीद ने पिछले साल तक पेड़ लगाना शुरू किया, हमने प्रोटेक्शन फ्रंट के रूप में और ग्रामीणों ने भी उनका समर्थन किया.“
गांववालों के समर्थन ने अब्दुल हमीद को और भी प्रोत्साहित किया. मिलियन पेड़ों के अपने मिशन के लिए, उन्होंने अब शेरे कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय (Shere Kashmir Agriculture University) के साथ करार किया है और अल्पाइन नर्सरी शुरू की है.जो हर साल एक लाख पौधे उपलब्ध कराएगी. यहां कोई भी आता है तो फर्क नजर आता है. हमीद ने कहा कि अब मैंने कृषि विश्वविद्यालय के साथ सहयोग किया है. उन्होंने जमीन मुहैया कराई है और मैं वहां नर्सरी उगा रहा हूं. वही लोग जो पहले लकड़ी के तस्कर थे, वे वृक्षारोपण मिशन का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं. वे एक आशा देखते हैं कि वनीकरण क्षेत्र को पर्यटन मानचित्र पर ला रहा.
अब्दुल हमीद के लिए ये गरीबी से अमीरी की कहानी रही है. उनके ऑटोमोबाइल और डीजल जनरेटर व्यवसाय में 200 कर्मचारी हैं. लेकिन हमीद कहते हैं कि एक पेड़ उगाने और वृक्षारोपण से उन्हें सुकून मिलता है.
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