स्वराज इंडिया पार्टी के प्रमुख योगेंद्र यादव का कहना है कि आम आदमी पार्टी अपने पतन की ओर है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पंजाब, गोवा और फिर दिल्ली में उपचुनाव चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार के लिए भ्रष्टाचार, मूल्यों से समझौता करने को जिम्मेदार बताते हुए स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी की राजनीतिक हत्या करने पर उतारू है, लेकिन यह तय है कि हत्या होने से पहले आम आदमी पार्टी आत्महत्या कर चुकी होगी.
योगेन्द्र यादव ने कहा कि वे लोकतांत्रिक राजनीति में एक दुखद और चौंकाने वाला तमाशा देख रहे हैं. बीजेपी ने 'आप' को खत्म करने के लिए जंग छेड़ी हुई है, पर वह कामयाब नहीं होगी क्योंकि 'आप' नेतृत्व स्वयं को ही खत्म करने की मुद्रा में है. अब ये देखना है कि पहले क्या होता है-हत्या या आत्महत्या?
उन्होंने कहा की इसमें कोई शक नहीं कि बीजेपी आम आदमी पार्टी की हत्या करने को लालायित है, लेकिन आम आदमी पार्टी अपने ही कृत्यों, नकारापन, भ्रष्टाचार और मूल्यों से समझौतों के चलते आत्महत्या करने की राह पर है.
योगेन्द्र यादव अन्ना आंदोलन के सक्रिय सदस्य रहे हैं और आम आदमी पार्टी के संस्थापकों में शामिल थे. योगेन्द्र यादव को अरविंद केजरीवाल से मतभेद के कारण 'आप' से निष्कासित कर दिया गया. उन्होंने प्रशांत भूषण एवं अन्य लोगों के साथ मिलकर स्वराज इंडिया पार्टी का गठन किया.
आम आदमी पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए योगेन्द्र यादव ने कहा कि यह पार्टी मुख्यत: तीन संकल्पों का समावेश थी जिनमें सैद्धांतिक राजनीति, सुशासन और चुनावी बल शामिल रहा है. लेकिन अफसोस कि सैद्धांतिक राजनीति का दावा तो वह पहले ही खो चुकी है. दागी उम्मीदवारों को अपनाना, अपने ही संविधान की धज्जियां उड़ाना, पार्टी के लोकपाल को बेशर्मी से हटाना, इन सबने पार्टी के पतन की तरफ तो इशारा कर ही दिया था.
यादव ने कहा कि 'आप' के सुशासन के वायदे की कलई खुल गई है. जहां यह सच है कि भाजपा, आम आदमी पार्टी के पीछे हाथ धो कर पड़ी हुई है, वहीं यह भी सच है कि आम आदमी पार्टी अपने ही न जाने कितने कुकृत्यों को छुपाए बैठी है. अब यह भी साबित हो गया है कि 'आप' को शासन का व्याकरण भी नहीं पता. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 'आप' सरकार के असंवैधानिक फैसलों पर टिप्पणियां की हैं. 'आप' विधायकों की संसदीय सचिवों पर नियुक्ति से लाभ के पद का मामला चुनाव आयोग के सामने लंबित है.
स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि अब शुंगलू समिति ने भी नियम-कानून को धता बताने वाले इनके कई कारनामों का कच्चा-चिटठा खोल दिया है. पार्टी की वेबसाइट और चुनाव आयोग में दी गई दानदाताओं की सूची में भिन्नता है. यहां तक कि पार्टी ने तो अब अपने दान की लिस्ट ही हटा ली है. शुंगलू समिति ने भाई-भतीजावाद और पद के दुरुपयोग के कई मामले गिनाए हैं जो किसी भी भ्रष्ट तंत्र में पाए जाते हैं.
योगेन्द्र यादव ने आरोप लगाया कि दिल्ली के स्वास्थ मंत्री अपनी बेटी को अपने ही विभाग के एक प्रोजेक्ट का जिम्मा दे देते हैं. मुख्यमंत्री ने खुद नियम को अनदेखा कर अपने करीबी साथी रिश्तेदार को पहले रेजिडेंट डॉक्टर, और फिर स्वास्थ्य मंत्री का ओएसडी नियुक्त कर दिया. बहुत से पार्टी कार्यकर्ताओं को सरकारी पद दे दिए गए, जिनमें से बहुत से पुरानी तिथि के आर्डर से लागू किया गए.
उन्होंने कहा कि सरकारी पैसे का अपने विज्ञापन-प्रचार के लिए दुरुपयोग, अपने बचाव पक्ष के महंगे वकील को सरकारी खर्चे से भुगतान करना सब सामने है. नैतिकता और सुशासन के मुद्दे पर हारी 'आप' अब चुनाव आयोग के पीछे पड़ी है. अब अपनी हार का ठीकरा वो ईवीएम पर फोड़ रही है. इसी सन्दर्भ में हाउस टैक्स हटाने का वायदा उसकी हताशा का संकेत है. पार्टी नेतृत्व को अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा है. पता नहीं 'आप' का चुनावी यंत्र 'आप' की नैतिक मृत्यु के बाद और कितनी देर तक बचेगा.
योगेन्द्र यादव ने कहा कि वे लोकतांत्रिक राजनीति में एक दुखद और चौंकाने वाला तमाशा देख रहे हैं. बीजेपी ने 'आप' को खत्म करने के लिए जंग छेड़ी हुई है, पर वह कामयाब नहीं होगी क्योंकि 'आप' नेतृत्व स्वयं को ही खत्म करने की मुद्रा में है. अब ये देखना है कि पहले क्या होता है-हत्या या आत्महत्या?
उन्होंने कहा की इसमें कोई शक नहीं कि बीजेपी आम आदमी पार्टी की हत्या करने को लालायित है, लेकिन आम आदमी पार्टी अपने ही कृत्यों, नकारापन, भ्रष्टाचार और मूल्यों से समझौतों के चलते आत्महत्या करने की राह पर है.
योगेन्द्र यादव अन्ना आंदोलन के सक्रिय सदस्य रहे हैं और आम आदमी पार्टी के संस्थापकों में शामिल थे. योगेन्द्र यादव को अरविंद केजरीवाल से मतभेद के कारण 'आप' से निष्कासित कर दिया गया. उन्होंने प्रशांत भूषण एवं अन्य लोगों के साथ मिलकर स्वराज इंडिया पार्टी का गठन किया.
आम आदमी पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए योगेन्द्र यादव ने कहा कि यह पार्टी मुख्यत: तीन संकल्पों का समावेश थी जिनमें सैद्धांतिक राजनीति, सुशासन और चुनावी बल शामिल रहा है. लेकिन अफसोस कि सैद्धांतिक राजनीति का दावा तो वह पहले ही खो चुकी है. दागी उम्मीदवारों को अपनाना, अपने ही संविधान की धज्जियां उड़ाना, पार्टी के लोकपाल को बेशर्मी से हटाना, इन सबने पार्टी के पतन की तरफ तो इशारा कर ही दिया था.
यादव ने कहा कि 'आप' के सुशासन के वायदे की कलई खुल गई है. जहां यह सच है कि भाजपा, आम आदमी पार्टी के पीछे हाथ धो कर पड़ी हुई है, वहीं यह भी सच है कि आम आदमी पार्टी अपने ही न जाने कितने कुकृत्यों को छुपाए बैठी है. अब यह भी साबित हो गया है कि 'आप' को शासन का व्याकरण भी नहीं पता. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 'आप' सरकार के असंवैधानिक फैसलों पर टिप्पणियां की हैं. 'आप' विधायकों की संसदीय सचिवों पर नियुक्ति से लाभ के पद का मामला चुनाव आयोग के सामने लंबित है.
स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि अब शुंगलू समिति ने भी नियम-कानून को धता बताने वाले इनके कई कारनामों का कच्चा-चिटठा खोल दिया है. पार्टी की वेबसाइट और चुनाव आयोग में दी गई दानदाताओं की सूची में भिन्नता है. यहां तक कि पार्टी ने तो अब अपने दान की लिस्ट ही हटा ली है. शुंगलू समिति ने भाई-भतीजावाद और पद के दुरुपयोग के कई मामले गिनाए हैं जो किसी भी भ्रष्ट तंत्र में पाए जाते हैं.
योगेन्द्र यादव ने आरोप लगाया कि दिल्ली के स्वास्थ मंत्री अपनी बेटी को अपने ही विभाग के एक प्रोजेक्ट का जिम्मा दे देते हैं. मुख्यमंत्री ने खुद नियम को अनदेखा कर अपने करीबी साथी रिश्तेदार को पहले रेजिडेंट डॉक्टर, और फिर स्वास्थ्य मंत्री का ओएसडी नियुक्त कर दिया. बहुत से पार्टी कार्यकर्ताओं को सरकारी पद दे दिए गए, जिनमें से बहुत से पुरानी तिथि के आर्डर से लागू किया गए.
उन्होंने कहा कि सरकारी पैसे का अपने विज्ञापन-प्रचार के लिए दुरुपयोग, अपने बचाव पक्ष के महंगे वकील को सरकारी खर्चे से भुगतान करना सब सामने है. नैतिकता और सुशासन के मुद्दे पर हारी 'आप' अब चुनाव आयोग के पीछे पड़ी है. अब अपनी हार का ठीकरा वो ईवीएम पर फोड़ रही है. इसी सन्दर्भ में हाउस टैक्स हटाने का वायदा उसकी हताशा का संकेत है. पार्टी नेतृत्व को अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा है. पता नहीं 'आप' का चुनावी यंत्र 'आप' की नैतिक मृत्यु के बाद और कितनी देर तक बचेगा.
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