आधार मामले पर सीपीआई नेता ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:
आधार मामले में अब सीपीआई नेता बिनॉय विस्वम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इनकम टैक्स की धारा 139AA पर सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की याचिका दाखिल की है. याचिका में एक्ट को चुनौती दी गई थी जिसमें टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया है.
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नए नियम के मुताबिक इनकम टैक्स भरने के लिए आधार नंबर और पर्मानेंट अकाउंट नंबर (पैन) को आपस में जोड़ना होगा और बिना आधार कार्ड के टैक्स रिटर्न फ़ाइल नही कर सकते. बिनॉय विस्वम ने अपनी याचिका में कहा है कि इस प्रावधान को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि ये असंवैधानिक, गैर क़ानूनी, मनमाना और मौलिक अधिकारों का उलंघन करता है.
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संवैधानिक पीठ के फ़ैसले को आधार बनाया गया है जिसमें कोर्ट ने कहा था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। साथ ही तीन तलाक के फैसले को भी आधार बनाया गया है. बिनॉय विस्वम ने सुप्रीम कोर्ट में इंकम टैक्स की धारा 139AA को चुनोती दी थी. तब सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए आयकर अधिनियम में नये डाले गए प्रावधान को स्थायी रूप से खाता संख्या (पैन) के साथ आधार संख्या को जोड़ने में अनिवार्य करार दिया था.
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जिन लोगों के पास यूनीक आईडी (आधार कार्ड) है उन्हें इसे पैन कार्ड के साथ लिंक करना ही होगा. सुप्रीम कोर्ट ने इनकम टैक्स की धारा 139AA के उस प्रावधान को अनिवार्य बनाने का समर्थन किया था जिसमें कहा गया है कि इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए आधार अनिवार्य है.
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नए नियम के मुताबिक इनकम टैक्स भरने के लिए आधार नंबर और पर्मानेंट अकाउंट नंबर (पैन) को आपस में जोड़ना होगा और बिना आधार कार्ड के टैक्स रिटर्न फ़ाइल नही कर सकते. बिनॉय विस्वम ने अपनी याचिका में कहा है कि इस प्रावधान को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि ये असंवैधानिक, गैर क़ानूनी, मनमाना और मौलिक अधिकारों का उलंघन करता है.
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संवैधानिक पीठ के फ़ैसले को आधार बनाया गया है जिसमें कोर्ट ने कहा था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। साथ ही तीन तलाक के फैसले को भी आधार बनाया गया है. बिनॉय विस्वम ने सुप्रीम कोर्ट में इंकम टैक्स की धारा 139AA को चुनोती दी थी. तब सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए आयकर अधिनियम में नये डाले गए प्रावधान को स्थायी रूप से खाता संख्या (पैन) के साथ आधार संख्या को जोड़ने में अनिवार्य करार दिया था.
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