उत्तराखंड स्थित चार धाम यात्रा में इस साल तीर्थयात्रियों की संख्या में खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. दो साल के अंतराल के बाद तीर्थयात्रियों के लिए फिर से खोले गए चार धाम में लाखों श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, पवित्र स्थलों के मार्ग प्लास्टिक सहित सभी प्रकार के कचरे से अटे पड़े हैं. नतीजतन पवित्र स्थल विशाल कचरे के ढेर में तब्दील होते नजर आ रहे हैं.
एएनआई ने बर्फ से ढके पहाड़ों के साथ भूमि के बड़े हिस्से में फैले कई टेंटों की एक तस्वीर ट्वीट की. हालांकि, यह क्षेत्र पूरी तरह से फेंकी गई प्लास्टिक की वस्तुओं जैसे बैग और बोतलों के साथ-साथ अन्य अपशिष्ट पदार्थों से अटा पड़ा है, जिसे देख अंदाजा लग रहा है कि ये कोई बड़ा कूड़े का ढेर है. न्यूज एजेंसी ने फोटो के कैप्शन में लिखा, "चार धाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच केदारनाथ की ओर जाने वाले रास्ते पर प्लास्टिक और कचरे का ढेर लगा है."
Uttarakhand | Heaps of plastic waste & garbage pile up on the stretch leading to Kedarnath as devotees throng for Char Dham Yatra pic.twitter.com/l6th87mxD9
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 22, 2022
एएनआई ने गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के प्रमुख प्रोफेसर एमएस नेगी के हवाले से कहा, “जिस तरह से केदारनाथ जैसे संवेदनशील स्थान पर प्लास्टिक कचरा ढेर लग गया है, वह हमारी पारिस्थितिकी के लिए खतरनाक है. इससे क्षरण होगा जो भूस्खलन का कारण बन सकता है. हमें 2013 की त्रासदी को ध्यान में रखना चाहिए और सावधान रहना चाहिए."
The way plastic garbage has piled up in a sensitive place like Kedarnath is hazardous for our ecology. It'll lead to erosion which can cause landslides. We must keep in mind the tragedy of 2013 & remain careful:Prof MS Negi Head, Department of Geography,Garhwal Central University pic.twitter.com/AxDoUSoYja
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 22, 2022
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प्रो नेगी जून 2013 में उत्तराखंड में बादल फटने का जिक्र कर रहे थे, जिसके कारण विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन आया था. जो कि भारत की सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से एक थी. समाचार एजेंसी ने HAPPRC के निदेशक प्रो एमसी नौटियाल के हवाले से कहा, "पर्यटकों की आवाजाही अब कई गुना बढ़ गई है, जिसके कारण प्लास्टिक कचरा बढ़ गया है क्योंकि हमारे पास उचित स्वच्छता सुविधाएं नहीं हैं." COVID-19 महामारी के कारण पिछले दो वर्षों से चार धाम यात्रा नहीं हुई थी.
The tourist inflow has risen manifold due to which plastic garbage has increased as we don't have proper sanitation facilities. This has affected the natural vegetation. Medicinal plants are getting extinct as well:Prof. MC Nautiyal, Director, HAPPRC pic.twitter.com/ElPTlaCP8l
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 22, 2022
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