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This Article is From Sep 20, 2016

ओला-उबर टैक्सी कंपनियों पर 9000 करोड़ के हर्जाने का दावा किया..

ओला-उबर टैक्सी कंपनियों पर 9000 करोड़ के हर्जाने का दावा किया..
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली: सरचार्ज के नाम पर दुगना पैसा वसूल करने वाले ओला-उबर टैक्सी कंपनियों पर न्याय भूमि नामक संस्था ने 9000 करोड़ रुपए का हर्जाना नेशनल कंज्यूमर कमीशन में ठोंका है. इस मामले पर न्याय भूमि संस्था को आम आदमी पार्टी से निष्कासित विधायक कैप्टन देवेंद्र सहरावत का साथ भी मिला है.

कैप्टन सहरावत का कहना है कि दिल्ली सरकार की मिलीभगत से ये एप आधारित टैक्सी कंपनियां दिल्ली में मोटा मुनाफा कमा रही हैं. शिकायत में दिल्ली सरकार के उस नोटिफिकेशन का हवाला दिया गया है जिसमें रेडियो टैक्सी के लिए 23 रुपए प्रति किमी और किफायती टैक्सी के लिए साढ़े बारह रुपए प्रति किमी तय किया गया है.

शिकायत में हाई कोर्ट के उस फैसले का भी जिक्र किया गया है जिसमें निर्देश दिया गया था कि सरकारी तयशुदा रकम से ज्यादा टैक्सी कंपनियां लोगों से पैसा नहीं वसूल सकती है.

न्याय भूमि के सचिव राकेश अग्रवाल बताते हैं कि बीते तीन साल में ओला और उबर ने सरचार्ज के नाम पर 9000 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि वसूल की है. इसी के चलते हमने याचिका दायर करके लोगों का ये पैसा लौटाने को कहा है. इसमें ये भी कहा गया है कि ओला-उबर के आने से देशभर के एक करोड़ ऑटो टैक्सी ड्राइवरों की रोजी-रोटी भी खतरे में पड़ गई है.

हालांकि ओला-उबर लोगों को बेहतर और सस्ती सुविधाएं दे रही हैं. इस सवाल के जवाब में न्याय भूमि संस्था का कहना है कि फिलहाल कंपटीशन को खत्म करने के लिए उबर बाजार में पच्चीस हजार करोड़ रुपए झोंक रहा है, लेकिन जैसे ही टैक्सी व्यवसाय में उसका एकाधिकार हो जाएगा. चीन की तर्ज पर लोगों को सस्ती टैक्सी सुविधाएं खत्म हो जाएगी.

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