गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को डॉक्टर दिलीप महालनाबिस सहित 26 गुमनाम नायकों को प्रतिष्ठित पद्म सम्मान दिए जाने की घोषणा की गई. महालनाबिस 1971 के बांग्लादेश युद्ध के शरणार्थियों के शिविरों में सेवा करने के लिए अमेरिका से लौटे और दुनिया भर में ‘‘ओआरएस'' घोल के उपयोग को बढ़ावा दिया जिससे पांच करोड़ से अधिक लोगों की जान बच सकी.
अधिकारियों ने बताया कि पश्चिम बंगाल के महालनाबिस (87) को मरणोपरांत इस साल देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण के लिए चुना गया है. पद्म पुरस्कारों के लिए घोषित नामों में महाराष्ट्र से 12, कर्नाटक और गुजरात से आठ-आठ व्यक्ति शामिल हैं.
अंडमान निकोबार के सेवानिवृत्त सरकारी डॉक्टर रतन चंद्र कार, सामाजिक कार्यकर्ता हीराबाई लोबी, पूर्व सैनिक मुनीश्वर चंदर डावर को पद्मश्री के लिए चुना गया है. रतन चंद्र कार निकोबार द्वीप समूह में जारवा जनजाति के साथ काम कर रहे हैं वहीं डावर मध्य प्रदेश में हाशिए पर के लोगों की सेवा में जुटे हैं.
नगा सामाजिक कार्यकर्ता रामकुइवांगबे न्यूमे को पद्म श्री के लिए चुना गया है. उन्होने जागरूकता शिविरों और कार्यक्रमों के जरिए स्वदेशी हेराका संस्कृति का संरक्षण और प्रचार किया एवं 10 प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना की और महिलाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित किया.
पद्म श्री के लिए चुने गए लोगों में 'कन्नूर के गांधी' वीपी अप्पुकुट्टन पोडुवल के साथ ही सांप पकड़ने वाले मासी सदाइयां और गोपाल और सिक्किम के जैविक किसान तुला राम उप्रेती भी शामिल हैं.
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