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'जितने हथियार हैं, आज सब इस्तेमाल होंगे...' 26/11 की उस रात की आखिरी बात जो विजय सालस्कर की बेटी आज भी नहीं भूल पाई

26/11 की रात मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर विजय सालस्कर भी शहीद हो गए. हमने 26/11 की बरसी पर उनके परिवार से बात की. उनकी बेटी दिव्या सालस्कर ने उस रात के आखिरी पलों को याद करते हुए जो बताया, वह सुनकर आज भी रूह कांप उठती है...

'जितने हथियार हैं, आज सब इस्तेमाल होंगे...' 26/11 की उस रात की आखिरी बात जो विजय सालस्कर की बेटी आज भी नहीं भूल पाई
  • 26 नवंबर 2008 की रात मुंबई में हुए आतंकी हमले ने पूरे शहर और देश को हिला कर रख दिया था.
  • लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने निर्दोष नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों को निशाना बनाया था.
  • मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर विजय सालस्कर उसी रात आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे.
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26 नवंबर 2008... वो खौफनाक रात, जिसने न सिर्फ मुंबई को दहला दिया बल्कि पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया. ये सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं था, बल्कि भारतीय इतिहास का ऐसा जख्म है जो 17 साल बाद भी हरा है. लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने निर्दोष भारतीयों, विदेशी मेहमानों और शहर की सुरक्षा में लगे बहादुर पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया. उसी रात मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर विजय सालस्कर भी शहीद हो गए.

हमने 26/11 की बरसी पर उनके परिवार से बात की. उनकी बेटी दिव्या सालस्कर ने उस रात के आखिरी पलों को याद करते हुए जो बताया, वह सुनकर आज भी रूह कांप उठती है.

'पापा कभी जल्दी घर नहीं आते थे…'

दिव्या बताती हैं, 'पापा हमेशा देर से घर आने वाले इंसान थे. लेकिन उस रात वो हमें सरप्राइज देने 10:30 बजे ही आ गए. हमने सोचा कि बाहर घूमने चलेंगे. मैं तैयार होने चली गई… और जब वापस आई तो वो जा चुके थे. फिर मैंने मां से पूछा कि पापा अचानक कहां चले गए? मां ने कहा. मुंबई में गैंगवॉर हुआ है.

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लेकिन माहौल कुछ और ही था. दिव्या बताती हैं. 'मां ने बताया कि गैंगवॉर जैसा नहीं लग रहा था. पापा फोन पर लगातार दूसरे पुलिसवालों को बुला रहे थे और कह रहे थे कि आज जितने हथियार हैं, सब लेकर आओ. वो फोन पर किसी से बोल रहे थे- ये गैंगवॉर नहीं है… ये आतंकी हमला है.' फिर वे तेजी से घर से निकल गए.

'11:55 पर मां ने फोन किया…'

दिव्या बताती हैं, 'हमने टीवी खोला तो करकरे सर बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते दिखे. हालात खराब हो रहे थे. रात 11:55 पर मां ने पापा को फोन किया. उन्होंने धीरे से कहा कि मैं स्पॉट पर हूं. हम समझे वो लियोपोल्ड के पास होंगे क्योंकि टीवी पर वहीं की तस्वीरें चल रही थीं.

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'सुबह पता चला… पापा नहीं रहे'

दिव्या कहती हैं, 'अगली सुबह हमें बताया गया कि पापा की मौत हो गई है. 3-4 दिन बाद हमें NDTV से पता चला कि वह कैसे कामा हॉस्पिटल पहुंचे, क्या हुआ था. हमें अपने पिता की शहादत की खबर टीवी से मिली थी.'

26/11 की वो खौफनाक रात

विजय सालस्कर, हेमंत करकरे, अशोक कामटे… उन बहादुरों की कहानियां आज भी मुंबई की सड़कों पर दर्ज हैं. लेकिन उनके परिवारों के दिलों में उस रात की टीस आज भी जिंदा है. 

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