नीतीश कुमार के साथ प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
कोलकाता:
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी और 2015 में नीतीश कुमार की 'महाजीत' में अहम भूमिका निभाने वाले इस शख्स ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी प्रभावित किया है। जी हां, यहां बात हो रही है प्रशांत किशोर की, जिनकी बनाई रणनीति का मोदी और नीतीश को चुनावी समर में मिली कामयाबी में खासा योगदान रहा है।
सूत्रों के अनुसार, बिहार चुनाव में नीतीश की जबर्दस्त सफलता के बाद तृणमूल कांग्रेस ने प्रशांत से संपर्क किया है और पार्टी की प्रशांत के साथ बैठक इस सप्ताह के आखिर में होनी है। वैसे ममता बनर्जी इस संबंध में पूछे जाने पर सीधे जवाब से बचती नजर आईं। अखबार 'टेलीग्राफ' से चर्चा में उन्होंने कहा, 'अभी तक उनके साथ कोई बात नहीं हुई हैं...फिर मैं इस बारे में कैसे कुछ कह सकती हूं।' भाजपा विरोधी पार्टियां बिहार चुनाव के जनादेश को भारतीय राजनीति के लिहाज से टर्निंग प्वाइंट मान रही हैं।
ममता ने किया था नीतीश का समर्थन
खास बात यह है कि इन चुनाव में ममतादी ने जोरशोर से नीतीश बाबू का समर्थन किया था। वैसे भी स्थानीय चुनावों में तृणमूल को मिली जीत के चलते पश्चिम बंगाल में इस पार्टी के सत्ता में वापस आने की संभावनाएं प्रबल मानी जा रही हैं। सूत्र बताते हैं कि तृणमूल पार्टी का फोकस जीत का अंतर बढ़ाने पर है।
बैकरूम ऑपरेशंस के अगुवा थे प्रशांत
नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार के दौरान प्रशांत किशोर ने परदे के पीछे खास भूमिका निभाई थी। नीतीश की जोरदार जीत में श्रेय एक हद तक उनके चुनाव प्रबंधन को भी दिया जा रहा है। दो साल में दो प्रमुख चुनावों में कामयाबी के बाद उन्हें 'बैकरूम ऑपरेशंस' का ऐसा महारथी माना जा रहा है जो अपने 'मिडाज टच' से स्थितियों को बदलने में सक्षम है।
मोदी को 'चाय पर चर्चा' का आइडिया दिया था
जानकारी के अनुसार पिछले साल लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान 37 वर्षीय प्रशांत ने ही नरेंद्र मोदी को चाय पर चर्चा और थ्रीडी होलोग्राम रैली का इनोवेटिव आइडिया दिया था। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद किशोर ने उनके प्रमुख आलोचक नीतीश के साथ काम शुरू किया। बिहार के सीएम के लिए 'चाय पर चर्चा' को 'परचे पर चर्चा' का रूप दिया था। इसमें लोगों से बिहार सरकार के 10 साल के कार्यकाल और प्रदर्शन के बारे में फीडबैक देने को कहा गया। खास बात यह है कि प्रशांत किशोर अफ्रीका में यूएन हेल्थ एक्सपर्ट की अपनी छोड़कर 2011 में ही भारत लौटे हैं।
सूत्रों के अनुसार, बिहार चुनाव में नीतीश की जबर्दस्त सफलता के बाद तृणमूल कांग्रेस ने प्रशांत से संपर्क किया है और पार्टी की प्रशांत के साथ बैठक इस सप्ताह के आखिर में होनी है। वैसे ममता बनर्जी इस संबंध में पूछे जाने पर सीधे जवाब से बचती नजर आईं। अखबार 'टेलीग्राफ' से चर्चा में उन्होंने कहा, 'अभी तक उनके साथ कोई बात नहीं हुई हैं...फिर मैं इस बारे में कैसे कुछ कह सकती हूं।' भाजपा विरोधी पार्टियां बिहार चुनाव के जनादेश को भारतीय राजनीति के लिहाज से टर्निंग प्वाइंट मान रही हैं।
ममता ने किया था नीतीश का समर्थन
खास बात यह है कि इन चुनाव में ममतादी ने जोरशोर से नीतीश बाबू का समर्थन किया था। वैसे भी स्थानीय चुनावों में तृणमूल को मिली जीत के चलते पश्चिम बंगाल में इस पार्टी के सत्ता में वापस आने की संभावनाएं प्रबल मानी जा रही हैं। सूत्र बताते हैं कि तृणमूल पार्टी का फोकस जीत का अंतर बढ़ाने पर है।
बैकरूम ऑपरेशंस के अगुवा थे प्रशांत
नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार के दौरान प्रशांत किशोर ने परदे के पीछे खास भूमिका निभाई थी। नीतीश की जोरदार जीत में श्रेय एक हद तक उनके चुनाव प्रबंधन को भी दिया जा रहा है। दो साल में दो प्रमुख चुनावों में कामयाबी के बाद उन्हें 'बैकरूम ऑपरेशंस' का ऐसा महारथी माना जा रहा है जो अपने 'मिडाज टच' से स्थितियों को बदलने में सक्षम है।
मोदी को 'चाय पर चर्चा' का आइडिया दिया था
जानकारी के अनुसार पिछले साल लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान 37 वर्षीय प्रशांत ने ही नरेंद्र मोदी को चाय पर चर्चा और थ्रीडी होलोग्राम रैली का इनोवेटिव आइडिया दिया था। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद किशोर ने उनके प्रमुख आलोचक नीतीश के साथ काम शुरू किया। बिहार के सीएम के लिए 'चाय पर चर्चा' को 'परचे पर चर्चा' का रूप दिया था। इसमें लोगों से बिहार सरकार के 10 साल के कार्यकाल और प्रदर्शन के बारे में फीडबैक देने को कहा गया। खास बात यह है कि प्रशांत किशोर अफ्रीका में यूएन हेल्थ एक्सपर्ट की अपनी छोड़कर 2011 में ही भारत लौटे हैं।
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