रोहिणी सालियान (फाइल फोटो)
NIA की पूर्व वकील रोहिणी सालियान ने खुलासा किया है कि 2008 के मालेगांव धमाका केस में आरोपियों के खिलाफ जिस पुलिस सुपरिंटेंडेंट ने उन्हें 'नरमी बरतने' के लिए कहा था, उनका नाम है सुहास वर्के। इंडियन एक्सप्रेस में इस बाबत छपी खबर के मुताबिक सालियान का कहना है कि एनडीए के सत्ता में आने के बाद वर्के ने उन्हें 'सॉफ्ट' होने के लिए कहा था।
बोलीं रोहिणी, नरमी बरतने के लिए कहा था...
सालियान ने 3 महीने पहले इंडियन एक्सप्रेस को जो इंटरव्यू दिया था, उसमें उन्होंने उस हलफनामे का जिक्र किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके ऊपर दबाव डाला गया कि वह इस आरोपियों को लेकर नरम रवैया अपनाए या फिर केस को कमज़ोर करें।
सालियान ने अपने ऐफाडेविट में कहा था- ... मैं एनआईए ऑफिसर का नाम का खुलासा कर रही हूं जिन्होंने एक मैसेंजर के तौर पर न्याय की प्रक्रिया को बाधित करने के लिए हस्तक्षेप करने की कोशिश की है। उनका नाम सुहास वर्के है और वह एनआईए की मुंबई ब्रांच में एसपी हैं।
ऐफाडेविट बॉम्बे हाई कोर्ट में फाइल किया था..
इस खबर के मुताबिक, ऐफाडेविट को उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में फाइल किया था और अब यह सुप्रीम कोर्ट में सब्मिट किया जा चुका है। इसके साथ ही एक पिटीशन भी दायर की गई है जिसमें ऐफाडेविट में किए गए खुलासों पर गौर करने के लिए कहा गया है। साथ ही कहा है कि एनआईए के खिलाफ उचित आदेश जारी किए जाएं
अपने ऐफाडेविट में सालियान ने इंडियन एक्सप्रेस के 25 जून को छपे इंटरव्यू का भी हवाला दिया है। उन्होंने इस घटना के जून 2014 के तीसरे हफ्ते में होने की बात कही है और कहा है- मैं यह एक बार फिर से दोहराना चाहती हूं और इस बात की पुष्टि करती हूं कि मैंने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को जो इंटरव्यू दिया था.. वह पूरी तरह से सही है और सच है।
सालियान ने इंटरव्यू में कहा था कि एनआईए की ओर से उन पर नरमी बरतने का आरोप था। पिछले साल एनडीए के सत्ता में आने के बाद, सालियान के मुताबिक, उन्हें एनआईए के एक अधिकारी की ओर से फोन आया था।
29 सितंबर 2008 में मालेगांव ब्लास्ट...
29 सितंबर 2008 में हुए मालेगांव बम धमाके में 4 लोगों की जान चली गई थी जबकि 79 लोग घायल हो गए थे। इसी वक्त पर गुजरात के मोडासा में धमाका हुआ था जिसमें एक शख्स मारा गया था। एनआईए ने इस मामले की जांच की और बॉम्बे हाई कोर्ट में चले इस केस की कमान जब 2011 और 2013 के बीच रोहिणी सालियान के हाथ में थी, तब चार लोगों को जमानत दी गई थी। मामले में 14 लोग आरोपी थे।
बोलीं रोहिणी, नरमी बरतने के लिए कहा था...
सालियान ने 3 महीने पहले इंडियन एक्सप्रेस को जो इंटरव्यू दिया था, उसमें उन्होंने उस हलफनामे का जिक्र किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके ऊपर दबाव डाला गया कि वह इस आरोपियों को लेकर नरम रवैया अपनाए या फिर केस को कमज़ोर करें।
सालियान ने अपने ऐफाडेविट में कहा था- ... मैं एनआईए ऑफिसर का नाम का खुलासा कर रही हूं जिन्होंने एक मैसेंजर के तौर पर न्याय की प्रक्रिया को बाधित करने के लिए हस्तक्षेप करने की कोशिश की है। उनका नाम सुहास वर्के है और वह एनआईए की मुंबई ब्रांच में एसपी हैं।
ऐफाडेविट बॉम्बे हाई कोर्ट में फाइल किया था..
इस खबर के मुताबिक, ऐफाडेविट को उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में फाइल किया था और अब यह सुप्रीम कोर्ट में सब्मिट किया जा चुका है। इसके साथ ही एक पिटीशन भी दायर की गई है जिसमें ऐफाडेविट में किए गए खुलासों पर गौर करने के लिए कहा गया है। साथ ही कहा है कि एनआईए के खिलाफ उचित आदेश जारी किए जाएं
अपने ऐफाडेविट में सालियान ने इंडियन एक्सप्रेस के 25 जून को छपे इंटरव्यू का भी हवाला दिया है। उन्होंने इस घटना के जून 2014 के तीसरे हफ्ते में होने की बात कही है और कहा है- मैं यह एक बार फिर से दोहराना चाहती हूं और इस बात की पुष्टि करती हूं कि मैंने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को जो इंटरव्यू दिया था.. वह पूरी तरह से सही है और सच है।
सालियान ने इंटरव्यू में कहा था कि एनआईए की ओर से उन पर नरमी बरतने का आरोप था। पिछले साल एनडीए के सत्ता में आने के बाद, सालियान के मुताबिक, उन्हें एनआईए के एक अधिकारी की ओर से फोन आया था।
29 सितंबर 2008 में मालेगांव ब्लास्ट...
29 सितंबर 2008 में हुए मालेगांव बम धमाके में 4 लोगों की जान चली गई थी जबकि 79 लोग घायल हो गए थे। इसी वक्त पर गुजरात के मोडासा में धमाका हुआ था जिसमें एक शख्स मारा गया था। एनआईए ने इस मामले की जांच की और बॉम्बे हाई कोर्ट में चले इस केस की कमान जब 2011 और 2013 के बीच रोहिणी सालियान के हाथ में थी, तब चार लोगों को जमानत दी गई थी। मामले में 14 लोग आरोपी थे।
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