साल 2008 के मालेगांव धमाके में अपने ऊपर लगे मुकदमे को खारिज करने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की है. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) को याचिका पर जल्द सुनवाई करने का निर्देश दिया है. लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित ने अपनी याचिका में कहा है कि NIA ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की सरकार से मंजूरी नहीं ली है. इसलिए उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. जस्टिस हेमंत गुप्ता और विक्रम नाथ की बेंच ने इस पर हाईकोर्ट को जल्द सुनवाई करने को कहा है.
पुरोहित ने सुप्रीम हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को हटाने के लिए कहा है. उन्होंने यह भी कहा है कि उनके द्वारा की गई साजिश के कथित कृत्य सेना के एक अधिकारी के रूप में उनके कर्तव्यों के निर्वहन में किये गये थे. इसलिए, जांच एजेंसी NIA को उन पर मुकदमा चलाने के लिए केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी लेनी चाहिए थी. अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि वह कई सालों से एक विचाराधीन कैदी के रूप में पीड़ित हैं और NIA द्वारा मंजूरी प्रक्रिया में देरी उनकी समस्याओं को बढ़ा रही है.
पुरोहित को 2009 में इस मामले में गिरफ्तार किया गया था. 29 सितंबर, 2008 को नासिक जिले के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल से बंधे बम के फटने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 अन्य घायल हो गए थे. पुरोहित ने कहा कि NIA द्वारा उन पर आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत आरोप लगाया गया है. जबकि वो अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ बैठक करके और मामले से संबंधित साजिश की बैठकों में भाग लेकर केवल जानकारी एकत्र कर रहे थे और इसे सेना को दे रहे थे.
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