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This Article is From Sep 11, 2015

अहमदाबाद : दो न्यायाधीश गिरफ्तार, मन मुताबिक फैसला सुनाने के लिए लेते थे रुपये

अहमदाबाद : दो न्यायाधीश गिरफ्तार, मन मुताबिक फैसला सुनाने के लिए लेते थे रुपये
अहमदाबाद/वलसाड: गुजरात में निचली न्यायपालिका के दो न्यायाधीशों को गुजरात हाईकोर्ट के सतर्कता प्रकोष्ठ ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर लिया है। इन दोनों को साल 2014 में वापी अदालत में पदस्थापना के दौरान मामलों का निपटारा करने के लिए रुपये लेने के आरोप में पिछले सप्ताह निलंबित कर दिया गया था।

न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी रैंक के दोनों न्यायाधीशों ए.डी. आचार्य और पी.डी. इनामदार को वलसाड की एक अदालत ने शुक्रवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ये दोनों अनुकूल आदेश सुनाने के लिए रुपये के लेन-देन पर चर्चा करते हुए कथित तौर पर कैमरे में कैद किए गए थे।

हाई कोर्ट के महापंजीयक बी.एन. करिया ने कहा कि उन्हें वलसाड की अदालत में पेश किया गया और हाई कोर्ट के सतर्कता विभाग ने मामले की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

हाई कोर्ट में सूत्रों के अनुसार दोनों गिरफ्तार न्यायाधीशों को बुधवार को और गुरुवार को वलसाड अदालत में उनकी पेशी से पहले गुजरात हाईकोर्ट भवन में रखा गया था।

दोनों न्यायाधीशों को वलसाड जिला अदालत न्यायाधीश एम.एम. मंसूरी ने शुक्रवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जब उनकी जमानत याचिका ठुकरा दी गई। हाई कोर्ट की सतर्कता पीठ ने वापी के वकील जगत पटेल की शिकायत पर मामले में जांच शुरू की। उन्होंने आरोप लगाया था कि वे भ्रष्टाचार में शामिल हैं।

पटेल की शिकायत के अनुसार उन्होंने दोनों न्यायाधीशों के अदालत कक्ष में गुप्त कैमरे लगाए थे, जिसने फरवरी से अप्रैल 2014 के बीच तीन महीने तक उनकी गतिविधि रिकॉर्ड कर ली। रिकॉर्डिंग में उन्हें फोन पर वकीलों से और लोगों से अनुकूल आदेश सुनाने के लिए राशि पर चर्चा करते सुना गया।

शिकायत मिलने के बाद हाई कोर्ट के सतर्कता प्रकोष्ठ ने मामले में जांच शुरू कर दी और बाद में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और अदालत के रिकॉर्ड की जालसाजी और जाली दस्तावेजों को असली के तौर पर पास करने के प्रावधानों के तहत न्यायाधीशों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

जांच के बाद हाई कोर्ट ने पिछले महीने उन्हें निलंबित कर दिया। आचार्य भावनगर जिले के शिहोर तालुका में जेएमएफसी के तौर पर काम कर रहे थे जबकि ईनामदार अपने निलंबन के समय जामनगर जिले के जामखंभलिया तालुका अदालत में पदस्थापित थे।

दोनों को तब निलंबित किया गया जब सतर्कता प्रकोष्ठ ने 10 अन्य के साथ उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की। इन लोगों में एक स्टेनोग्राफर बी.डी. श्रीमाली और एक क्लर्क बी.जी. प्रजापति और आठ वकील भी शामिल हैं, जिन्होंने रिश्वत के जरिए कृपादृष्टि हासिल की।

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