तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में 18-महीने की एक बच्ची की सांप के डसने से मौत हो गई, क्योंकि इलाके में ढंग की सड़कें नहीं होने के चलते वह वक्त पर अस्पताल नहीं पहुंच सकी. एम्बुलेंस द्वारा उन्हें आधे रास्ते में ही छोड़ देने के बाद बच्ची को गोद में लेकर मां को 6 किलोमीटर तक चढ़ाई चढ़नी पड़ी.
सांप के डसने की घटना के बाद माता-पिता और रिश्तेदार 18-महीने की धनुष्का को वेल्लोर के एक अस्पताल में ले गए थे, लेकिन बच्ची की मौत रास्ते में ही हो गई. बच्चे के परिजनों का आरोप है कि सड़क ठीक न होने के कारण अस्पताल पहुंचने में देरी हुई, और इसी वजह से बच्ची को समय पर इलाज नहीं मिल पाया.
वेल्लोर के कलेक्टर ने NDTV को बताया कि तलहटी में एक मिनी एम्बुलेंस उपलब्ध थी और अगर परिवार ने आशा कार्यकर्ताओं से संपर्क किया होता, तो बच्चे का प्राथमिक उपचार किया जा सकता था. उन्होंने बताया कि बच्ची के माता-पिता ने आशा कार्यकर्ताओं से संपर्क नहीं किया, बल्कि मोटरसाइकिलों से सफर करने का फैसला किया.
कलेक्टर ने यह भी बताया, "उस इलाके में सड़क बनाने की कोशिश पहले से जारी है, और वहां लगभग 1,500 लोगों की छितराई हुई आबादी है... वन विभाग से मंज़ूरी के लिए आवश्यक आवेदन ऑनलाइन कर दिए गए हैं..."
अन्नाईकट्टू पुलिस ने आवश्यक धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज कर लिया है.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तमिलनाडु इकाई के प्रमुख के. अन्नामलाई ने इसे बेहद दर्दनाक घटना बताते हुए इसकी निंदा की और कहा कि इसके लिए पूरी तरह राज्य सरकार जिम्मेदार है. उन्होंने कहा, "वेल्लोर की घटना बेहद दर्दनाक है, जिसमें एक डेढ़-वर्षीय बच्ची की सांप के डसने से मौत हो गई, क्योंकि खराब सड़कों के कारण बच्ची को सही वक्त पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका... बच्ची के माता-पिता के प्रति संवेदना..."
उन्होंने यह भी कहा, "सड़क की उचित सुविधा के अभाव में बच्चे की मौत अस्वीकार्य है... यह और भी बुरा था कि बच्ची के माता-पिता को उसे उठाकर कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा... यह तकलीफ की वह इन्तेहा है, जिसका तजुर्बा किसी को भी नहीं मिलना चाहिए..."
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