सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों को प्राथमिकता देने के लिए 'वैश्विक स्तर पर राजनीतिक इच्छाशक्ति' का अभाव है.
कोलकाता:
भले ही हम बच्चों के अधिकार और विकास के कितने ही दावे करें, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है.नोबेल शांति पुरस्कार विजेता एवं बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों को प्राथमिकता देने के लिए 'वैश्विक स्तर पर राजनीतिक इच्छाशक्ति' का अभाव है. सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और उन्हें संरक्षण प्रदान करने के लिए पर्याप्त आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है.
उद्योग मंडल 'मर्चेट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री' के साथ एक परिचर्चा के दौरान सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों को प्राथमिकता देने के लिए वैश्विक स्तर पर राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है और उम्मीद के विपरीत पर्याप्त नहीं है. वे हमेशा सरकार से एक पीढ़ी के संरक्षण की मांग करते रहे हैं. उसके बाद आपको अगली पीढ़ी के लिए चिंता नहीं करनी होगी. वे खुद अपनी सुरक्षा कर लेंगे.
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से बच्चों को प्राथमिकता देने के लिए जब बच्चों की शिक्षा में बेहतरी, कानूनों के बेहतर क्रियान्वयन और बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए धनराशि के पर्याप्त आवंटन की बात आती है, तो हमें वैश्विक स्तर पर राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव नजर आता है.
सत्यार्थी ने कहा, "वैश्विक स्तर पर 16.8 करोड़ बच्चे बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं, जबकि 21 करोड़ वयस्क बेरोजगार हैं." राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए सत्यार्थी ने कहा कि भारत में हर घंटे 11 बच्चे लापता हो जाते हैं और उनमें से आधे कभी नहीं मिलते.
(इनपुट आईएएनएस से)
उद्योग मंडल 'मर्चेट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री' के साथ एक परिचर्चा के दौरान सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों को प्राथमिकता देने के लिए वैश्विक स्तर पर राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है और उम्मीद के विपरीत पर्याप्त नहीं है. वे हमेशा सरकार से एक पीढ़ी के संरक्षण की मांग करते रहे हैं. उसके बाद आपको अगली पीढ़ी के लिए चिंता नहीं करनी होगी. वे खुद अपनी सुरक्षा कर लेंगे.
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से बच्चों को प्राथमिकता देने के लिए जब बच्चों की शिक्षा में बेहतरी, कानूनों के बेहतर क्रियान्वयन और बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए धनराशि के पर्याप्त आवंटन की बात आती है, तो हमें वैश्विक स्तर पर राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव नजर आता है.
सत्यार्थी ने कहा, "वैश्विक स्तर पर 16.8 करोड़ बच्चे बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं, जबकि 21 करोड़ वयस्क बेरोजगार हैं." राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए सत्यार्थी ने कहा कि भारत में हर घंटे 11 बच्चे लापता हो जाते हैं और उनमें से आधे कभी नहीं मिलते.
(इनपुट आईएएनएस से)
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