
प्रणब मुखर्जी के नाम पर दोबारा विचार को राजी नहीं है NDA
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पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी व्यक्ति को मौका
प्रणब भी आमराय के बाद ही उतरेंगे
नंबर जुटाने की कमान पीएम मोदी ने खुद संभाली
वे दस कारण कि प्रणब मुखर्जी दोबारा क्यों नहीं बनेंगे राष्ट्रपति
- इतिहास में पहली बार है जब किसी गैर-कांग्रेसी राजनीतिक व्यक्ति को राष्ट्रपति बनाने का मौका मिला है.
- पहली बार आरएसएस पृष्ठभूमि के व्यक्ति को राष्ट्रपति बना कर विचारधारा की लड़ाई में बड़ी जीत हासिल हो सकती है
- वाजपेयी सरकार को गैर राजनीतिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को बनाना पड़ा क्योंकि उसके पास बहुमत नहीं था
- वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस और एआईएडीएमके से समर्थन के संकेत मिलने के बाद मोदी सरकार के पास बहुमत है
- कांग्रेस ने भी कलाम को दोबारा राष्ट्रपति बनाने के बजाए अपनी नेता प्रतिभा पाटिल को प्राथमिकता दी थी
- खुद प्रणब तभी मैदान में उतरेंगे जब उनके नाम पर आम राय हो, लेकिन इसके आसार नहीं
- आमराय की बात कर विपक्ष सरकार के बहुमत को नकारने की कोशिश में है
- नंबर जुटाने की कमान खुद पीएम मोदी ने संभालकर संदेश दिया कि बीजेपी अपने नेता को राष्ट्रपति बनाने के लिए बेहद गंभीर है
- एमपी-झारखंड में राज्यसभा की सीटें जीतने के लिए जोर लगाया और झारखंड में एक अतिरिक्त सीट जीती
- मनोहर पर्रिकर, योगी आदित्यनाथ और केशवप्रसाद मौर्य को राष्ट्रपति चुनाव तक संसद से इस्तीफा न देने को कहा
वैसे- कांग्रेस और वामपंथी दलों समेत कई विपक्षी दल राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार उतारने की संभावना पर बातचीत कर रहे हैं. फिलहाल राष्ट्रपति चुनाव के लिए बैठकों का दौर जारी है.राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल जुलाई में खत्म होने जा रहा है.
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