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नीतीश कुमार पर अमित शाह के बयान से बिहार की राजनीति में हो सकती हैं ये 10 बड़ी बातें

बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा पर सबकी निगाहें टिकी थीं लेकिन एक सवाल यह भी सत्ता में गलियारे में तैर रहा था कि एनडीए में आखिकार नेता कौन होगा और क्या बीजेपी नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार कर लेगी.

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गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि नीतीश कुमार बिहार में NDA के नेता हैं
पटना:

बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा पर सबकी निगाहें टिकी थीं लेकिन एक सवाल यह भी राजनीति के गलियारे में तैर रहा था कि एनडीए में आखिकार नेता कौन होगा और क्या बीजेपी नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार कर लेगी. दोनों सवालों का जवाब BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक वाक्य में दे दिया है कि गठबंधन अटल है और BJP वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी और वही बिहार NDA का चेहरा होंगे. इस घोषणा के बाद नीतीश कुमार ने भी बृहस्पतिवार को अपनी चुनावी जनसभाओं में भरोसा दिलाया कि बिहार में गठबंधन एकजुट है और कुछ लोग अख़बार में छपने के लिए बयान देते रहते हैं जिस पर उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वो उसको ज़्यादा तरजीह ना दे. अमित शाह के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में यह 10 असर देखने को मिल सकते हैं.

10 बड़ी बातें

  1. इस बयान ने सबसे पहले तो वो सारी राजनीति अटकलों पर विराम लगा दिया है कि अनुच्छेद  370 और राम जन्मभूमि के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला अनुकूल आने पर BJP बिहार में ही अकेले चुनावी मैदान में जा सकती है. जो लोग ये दावा कर रहे थे कि  केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और उनके जैसे-जैसे नेताओं का बयान इसी अभियान की कड़ी है वो भी निर्मूल साबित हुआ है.

  2. इस घोषणा के बाद ही यह भी एक बार फिर साबित हो गया कि नीतीश कुमार न केवल चेहरा हैं बल्कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी अभी यही चाहता है कि उन्हीं के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा जाए. इसको लेकिन उनके मन में कोई संशय नहीं है और शायद जब राज्यसभा की एक सीट का मामला था तब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित साह ने नीतीश कुमार से बातचीत कर उसका समाधान निकाला.

  3. इस घोषणा का सीधा असर न अगले कुछ हफ्तों या महीनों तक NDA गठबंधन के उन नेताओं पर निश्चित रूप से पड़ेगा जो बयान देकर सोशल मीडिया पर ट्वीट करके अपनी राजनीतिक दुकानदारी चला रहे थे. आप कह सकते हैं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह इस घोषणा से सबसे ज़्यादा आहत होंगे क्योंकि उनके समर्थकों ने तो 'अगला मुख्यमंत्री गिरिराज' जैसा अभियान शुरू कर दिया था.

  4. नीतीश और बिहार NDA के बारे में अब किसी को कोई भ्रम नहीं रहेगा कि आख़िर NDA का नेता और चेहरा बिहार में कौन है. वहीं साथ ही साथ बिहार BJP के अंदर भी यह बात फिर से स्थापित हो गई कि सुशील मोदी ही सर्वमान्य नेता  हैं इस  बार तो उन्हें भी पार्टी में कॉर्नर करने की मुहिम चली थी जो विफल हुआ. मोदी समर्थक मानते हैं कि जब दो साल पहले बिहार में नीतीश कुमार के साथ सरकार बनी थी तब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की एक ही इच्छा थी कि सुशील मोदी, नीतीश कुमार के साथ शपथ ग्रहण करें. इसलिए सुशील मोदी ने भी जब बृहस्पतिवार को ट्वीट किया तब उनका जोश दिख रहा था. 

  5. सबसे ज़्यादा असर दोनो दलों के कार्यकर्ताओं पर होगा क्योंकि उनके बीच भ्रम की स्थिति ख़त्म होगी. इस बयान का तात्कालिक असर उपचुनाव के परिणाम होगा यहां कम से कम 2 सीटों दारोमदार बिहार में जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवारों को BJP के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का खुलकर सहयोग नहीं मिल रहा था. और जैसे अमित शाह का बयान आया बिहार बीजेपी ने सिवान जिले के अपने दो बाग़ी नेताओं पर निलंबन की कार्रवाई कर दी.

  6. आने वाले दिनों में इस बयान के बाद आरजेडी और कांग्रेस के उन विधायकों को जिन्हें लगता है कि जीतने के लिए नीतीश के नेतृत्व की ज़रूरत है वैसे लोग अपना ठौर - ठिकाना ढूंढने की मुहिम तेज करेंगे. आरजेडी के बहुत सारे विधायक अपने नेता तेजस्वी यादव के इस व्यवहार से ख़ुश नहीं चल रहे हैं. उनका मानना हैं कि आपदा  के समय तेजस्वी या तो बिहार से बाहर होते हैं या पटना में. जलजमाव के समय भी प्रभावित लोगों को या परिवारों से मिलने में कोई रुचि नहीं दिखाई थी.

  7. जहां तक अनसुलझे मुद्दों का सवाल है तो निश्चित रूप से कौन सी पार्टी कितनी सीटों  पर विधान सभा में चुनाव लड़ेगी यह अभी भी अटकलों का मुद्दा हो सकता है. लेकिन अब सब मानकर चल रहे हैं जैसे लोकसभा में तमाम अटकलों के बावजूद बराबरी पर समझौता हुआ वैसे ही जब नेतृत्व का सवाल का हल हो चुका है तब भी सीट शेयरिंग में भी कोई विवाद नहीं होगा क्योंकि BJP और जनता दल यूनाइटेड ने फ़िलहाल साथ साथ रखने का न केवल मन बनाया है बल्कि घोषणा भी कर दी है. 

  8. हालांकि बीजेपी को उम्मीद होगी कि मीडिया में ख़ासकर अखबारो में जो जनता दल यूनाइट के नेता जैसे पवन वर्मा अपने कॉलम के माध्यम से अटैक करते हैं वो अब बंद होगा और हर मुद्दे पर अपनी अलग राय रखने की जनता दल यूनाइटेड के दिल्ली के नेताओं की प्रवृति पर अब नीतीश कुमार लगाम लगाएंगे.

  9. बीजेपी को उम्मीद हैं कि विवादास्पद मुद्दों पर जनता दल जैसे उनसे किनारा करती है जैसे धारा 370 और ट्रिपल तलाक़ के मुद्दों पर किया है, अब  नहीं होगा. हालांकि बाद में जनता दल यूनाइटेड ने जनता के मूड  को भांपते हुए तुरंत अपने स्टैंड को साफ़ किया कि जब ये बिल पास हो गया तो वो सरकार के समर्थन में है.

  10. झारखंड चुनाव ख़त्म होने के बाद बिहार में कुछ राजनीतिक दल ख़ासकर आरजेडी में भगदड़ मच सकती हैं और उनके सहयोगी उनके ऊपर और अधिक दबाव की राजनीति करेंगे. अमित शाह के बयान के बाद आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने माना हैं कि चुनावी अंकगणित में अब एनडीए के सामने आरजेडी अपने सहयोगियों के साथ भी नहीं टिकता है.
     


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