- माडवी हिडमा, जो देश का सबसे खतरनाक नक्सली कमांडर था, आंध्र प्रदेश के मारेडुमिली जंगल में मारा गया
- हिडमा CPI (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी का सबसे युवा सदस्य और PLGA बटालियन नंबर-1 का प्रमुख था
- हिडमा पर एक करोड़ रुपए का इनाम था और वह बस्तर का इकलौता आदिवासी था जिसने सेंट्रल कमेटी में जगह बनाई
वो जंगलों का ऐसा खौफनाक साया था, जिसका नाम सुनते ही हर किसी की सांसें थम जाती थीं. जिसकी सरकार को काफी लंबे वक्त से तलाश थी. वो था माडवी हिडमा, देश का सबसे कुख्यात नक्सली. जिसे आंध्र प्रदेश के मारेडुमिली जंगल में एक भीषण एनकाउंटर में मारा गया. यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक ऐतिहासिक कामायाबी है. आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामाराजू जिले में आंध्र-ओडिशा सीमा क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में शीर्ष माओवादी कमांडर माडवी हिडमा समेत छह माओवादी मारे गए. जानिए 1 करोड़ के खतरनाक इनामी हिडमा से जुड़ी वो बातें जो बेहद कम लोगों को पता है.
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माडवी हिडमा से जुड़ी खास बातें, यहां जानिए-
- 43 साल का माडवी हिडमा CPI (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी का सबसे युवा सदस्य था
- हिडमा PLGA बटालियन नंबर-1 का चीफ था, जो कि माओवादियों की सबसे घातक स्ट्राइक यूनिट है
- हिडमा पर ₹1 करोड़ का इनाम था और वह बस्तर का इकलौता आदिवासी था, जिसने सेंट्रल कमेटी में जगह बनाई
- उसने कम से कम 26 बड़े हमलों की साजिश रची, जिनमें 2010 का दंतेवाड़ा नरसंहार (76 CRPF जवान शहीद), 2013 का झीरम घाटी हमला (27 लोग मारे गए) और 2021 का सुकमा-बीजापुर एंबुश (22 जवान शहीद) शामिल हैं
- हिडमा का जन्म 1981 में पुर्वर्ती, सुकमा (छत्तीसगढ़) में हुआ था. असली नाम संतोष, लेकिन जंगलों में वह सिर्फ ‘हिडमा' था
- हिडमा युवाओं को नक्सल आंदोलन में शामिल करने का मास्टरमाइंड माना जाता था
- ग्रेहाउंड्स और AP पुलिस ने स्पेसिफिक इंटेलिजेंस के आधार पर ऑपरेशन लॉन्च किया
- एनकाउंटर आंध्र, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के त्रि-जंक्शन पर हुआ
- हिडमा के साथ उसकी दूसरी पत्नी राजे उर्फ राजक्का और पांच अन्य माओवादी मारे गए
- आंध्र प्रदेश DGP ने NDTV से कहा कि यह नक्सल विरोधी अभियान की ऐतिहासिक जीत है
गृह मंत्री अमित शाह की प्रतिक्रिया
देश के सबसे खूंखार नक्सली कमांडर माडवी हिडमा को मारा जाना बेहद बड़ी कामयाबी है. इसलिए देश के गृह मंत्री अमित शाह ने खुद सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए कहा कि यह ऑपरेशन नक्सलवाद खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. उन्होंने हाल ही में नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने की डेडलाइन तय की थी, और हिडमा का खात्मा उस लक्ष्य की ओर निर्णायक सफलता है.
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आंध्र के जंगल में हुई थी मुठभेड़
यह मुठभेड़ मारेडुमिली वन क्षेत्र में उस समय हुई जब छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और ओडिशा की पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान माओवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद तलाशी अभियान में लगे हुए थे. पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह गोलीबारी उस समय हुई जब सुरक्षा बलों ने माओवादियों के एक समूह को घेर लिया और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा. इसके बाद माओवादियों ने कथित तौर पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे सुरक्षाकर्मियों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी. यह मुठभेड़ आंध्र प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के त्रि-जंक्शन बिंदु के पास हुई.
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