याकूब मेमन की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
मुंबई बम विस्फोट मामले में दोषी याकूब मेमन को गुरुवार सुबह नागपुर की जेल में फांसी दिए जाने के बाद उसका शव मुंबई लाया गया और एक कब्रिस्तान में परिजनों के सामने इस्लामी रस्मो रिवाज के मुताबिक दफना दिया गया।
याकूब के शव को माहिम से दक्षिणी मुंबई में मरीन लाइंस के निकट बड़ा कब्रिस्तान में लाया गया। इस दौरान उसके परिजन व भारी तादाद में पुलिसकर्मी मौजूद थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, कब्रिस्तान के पास लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई, जिसके बाद मुंबई पुलिस के त्वरित प्रतिक्रिया बल (RAF) तथा पुलिस आयुक्त राकेश मारिया ने खुद व्यवस्था की निगरानी की।
इससे पहले, याकूब का शव नागपुर से मुंबई लाया गया, जिसके बाद उसे एक एंबुलेंस में रखकर माहिम तथा उसके बाद उसके घर के नजदीक स्थित बिस्मिल्लाह मंजिल इमारत की छत पर रखा गया।
अंत्येष्टि के पहले उसके परिजनों व सगे संबंधी वहां इकट्ठा हुए और नमाज अदा की। इसके तुरंत बाद शव को बड़ा कब्रिस्तान ले जाया गया, जहां नमाज-ए-जनाजा अदा की गई और बाद में उसके उसके माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों की कब्र के पास उसे दफना दिया गया।
आखिरी रस्म के कवरेज के लिए पहुंचे मीडियाकर्मियों के लिए अलग जगह की व्यवस्था की गई थी, हालांकि पहले के आदेश के कारण मीडिया को न तो फोटोग्राफी करने की इजाजत थी और न ही वीडियोग्राफी की।
पुलिस उपायुक्त (संचालन) संजय बरकुंड ने मीडिया के लिए याकूब को दफनाए जाने का 13 घंटे तक लाइव टेलीकास्ट नहीं करने का आदेश जारी किया था। कहा गया था कि शांति भंग होने व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचने की आशंका के मद्देनजर यह आदेश जारी किया गया है।
याकूब को नागपुर में सूली पर चढ़ाए जाने से लेकर मुंबई में दफनाने तक की प्रक्रिया में पूरे महाराष्ट्र से कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई है।
गौरतलब है कि वर्ष 1993 में मुंबई में सिलसिलेवार बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन को गुरुवार सुबह 6.35 बजे नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई।
याकूब के शव को माहिम से दक्षिणी मुंबई में मरीन लाइंस के निकट बड़ा कब्रिस्तान में लाया गया। इस दौरान उसके परिजन व भारी तादाद में पुलिसकर्मी मौजूद थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, कब्रिस्तान के पास लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई, जिसके बाद मुंबई पुलिस के त्वरित प्रतिक्रिया बल (RAF) तथा पुलिस आयुक्त राकेश मारिया ने खुद व्यवस्था की निगरानी की।
इससे पहले, याकूब का शव नागपुर से मुंबई लाया गया, जिसके बाद उसे एक एंबुलेंस में रखकर माहिम तथा उसके बाद उसके घर के नजदीक स्थित बिस्मिल्लाह मंजिल इमारत की छत पर रखा गया।
अंत्येष्टि के पहले उसके परिजनों व सगे संबंधी वहां इकट्ठा हुए और नमाज अदा की। इसके तुरंत बाद शव को बड़ा कब्रिस्तान ले जाया गया, जहां नमाज-ए-जनाजा अदा की गई और बाद में उसके उसके माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों की कब्र के पास उसे दफना दिया गया।
आखिरी रस्म के कवरेज के लिए पहुंचे मीडियाकर्मियों के लिए अलग जगह की व्यवस्था की गई थी, हालांकि पहले के आदेश के कारण मीडिया को न तो फोटोग्राफी करने की इजाजत थी और न ही वीडियोग्राफी की।
पुलिस उपायुक्त (संचालन) संजय बरकुंड ने मीडिया के लिए याकूब को दफनाए जाने का 13 घंटे तक लाइव टेलीकास्ट नहीं करने का आदेश जारी किया था। कहा गया था कि शांति भंग होने व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचने की आशंका के मद्देनजर यह आदेश जारी किया गया है।
याकूब को नागपुर में सूली पर चढ़ाए जाने से लेकर मुंबई में दफनाने तक की प्रक्रिया में पूरे महाराष्ट्र से कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई है।
गौरतलब है कि वर्ष 1993 में मुंबई में सिलसिलेवार बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन को गुरुवार सुबह 6.35 बजे नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई।
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