दुनिया चीन के साथ व्यापार नहीं करना चाहती और यह भारत के लिए एक वरदान है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को NDTV के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में यह बात कही. कोरोनावायरस के प्रकोप के दौरान और लॉकडाउन के खत्म होने के बाद अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के उद्यमों) के लिए सरकार की क्या योजनाएं हैं, इस पर भी बातचीत के दौरान उन्होंने व्यापक चर्चा की.
अपने इंटरव्यू में गडकरी ने उस प्रवासी संकट पर भी चर्चा की जिसने पूरे देश में सुर्खियां बटोरीं. उन्होंने वायरस के फैलने की आशंका व्यक्त करते हुए लॉकडाउन के दौरान लाखों की संख्या में फंसे लोगों को अपने गृह राज्य में वापस लौटने की इजाजत दिए जाने के खिलाफ चेतावनी भी दी.
गडकरी की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कुछ दिन पहले ही चीन ने भारत द्वारा एफडीआई नियमों में बदलाव किए जाने की आलोचना की थी और कहा था कि यह विश्व व्यापार संगठन के सिद्धांतों के खिलाफ है.
गडकरी ने NDTV से कहा, 'दुनिया का हर देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. लेकिन फिलहार दुनिया का कोई भी देश चीन के साथ व्यापार नहीं करना चाहता भले ही वह एक महाशक्ति है. यह भारत के लिए वरदान है. यह हमारे लिए एक मौका है.'
नितिन गडकरी ने इशारों में यह भी कहा कि यह 2025 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत को पांच-ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की महत्वाकांक्षा को पूरा करने का अवसर हो सकता है.
उन्होंने कहा, "हम भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए नई तकनीक को निवेश में बदलने की जिम्मेदारी एक संयुक्त सचिव को सौंपेंगे."
भारत और चीन दोनों के ही कोरोनावायरस से बुरी तरह प्रभावित होने के आसार हैं और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2020 में चीन की विकास दर 1.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है जो कि 4 दशकों में सबसे कम है.
चीन की जीडीपी 12 महीने पहले की समान अवधि की तुलना में जनवरी-मार्च तिमाही में 6.8 प्रतिशत कम हो गई जिसका अंदेशा मार्च में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट और खुदरा बिक्री में लगभग 16 प्रतिशत गिरावट से मिल गया था.
कोरोनोवायरस महामारी में अपनी भूमिका को लेकर भी चीन को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, कुछ खुलेआम और कुछ दबी जुबान में. यह वायरस पिछले साल दिसंबर में चीन के ही वुहान में उत्पन्न हुआ था.
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