पठानकोट:
शनिवार तड़के तीन बजे के बाद अंधेरे का फायदा उठाकर पठानकोट वायुसेना ठिकाने में घुसे आतंकियों पर सबसे पहले निगाह किसकी गई ये तो नहीं पता, लेकिन यूएवी या एमआई-35 अटैक हेलीकॉप्टर में से किसी को अंधेरे में ही सबसे पहले इनका पता चल गया था।
वायु सेना ने अपने बयान में खुलासा किया है कि आतंकवादियों ने जैसे ही वायुसेना ठिकाने के अंदर घुसपैठ की, वैसे ही एयर सर्विलांस प्लेफॉर्म को उनके बारे में पता चल गया था। वायुसेना ने कहा, इसके बाद आतंकवादियों को तुरंत आगे बढ़ने से रोक लिया गया और इसी कारण वे टेक्नीकल जोन तक नहीं पहुंच पाए, जहां हाई वैल्यू एसेट्स पार्क थे। पठानकोट को भारतीय वायुसेना के मिग-21 'बाइसन' फाइटर और एमआई-35 अटैक हेलिकॉप्टर के बेस के लिए जाना जाता है। भारतीय सेनाएं इजराइल में बने हेरोन और यूएवी का इस्तेमाल करती हैं। ये दोनों ही बेहद संवेदनशील थर्मल उपकरणों से लैस हैं। जो घुसपैठियों के शरीर से निकलने वाली उष्मा (बॉडी हीट) को पहचानकर उनकी स्थिति के बारे में बता सकते हैं।
इस वायुसेना ठिकाने के एमआई-35 हेलीकॉप्टरों में भी इजराइल के थर्मल इमेजिंग उपकरण लगाए गए हैं, जो घुप अंधेरे (जीरो विजिबिलिटी) में भी लोगों की गतिविधि का पता लगा सकती है।
वायु सेना ने अपने बयान में खुलासा किया है कि आतंकवादियों ने जैसे ही वायुसेना ठिकाने के अंदर घुसपैठ की, वैसे ही एयर सर्विलांस प्लेफॉर्म को उनके बारे में पता चल गया था। वायुसेना ने कहा, इसके बाद आतंकवादियों को तुरंत आगे बढ़ने से रोक लिया गया और इसी कारण वे टेक्नीकल जोन तक नहीं पहुंच पाए, जहां हाई वैल्यू एसेट्स पार्क थे।
इस वायुसेना ठिकाने के एमआई-35 हेलीकॉप्टरों में भी इजराइल के थर्मल इमेजिंग उपकरण लगाए गए हैं, जो घुप अंधेरे (जीरो विजिबिलिटी) में भी लोगों की गतिविधि का पता लगा सकती है।
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