प्रतीकात्मक फोटो
अहमदाबाद:
गुजरात में अल्पवर्षा के कारण फसलों पर संकट के बादल छा गए हैं। पिछले एक माह से अधिक समय से वर्षा न होने से फसलें तबाही की कगार पर पहुंच चुकी हैं। सौराष्ट्र इलाके में स्थिति सबसे अधिक खराब है। मानसून सीजन बीतने को है और किसान आसमान से आस लगाए हैं।
गुजरात के सौराष्ट्र के जामनगर जिले के किसान हरीश सांघाणी पिछले कई दिनों से अपने खेतों में बारिश के इंतजार में समय काट रहे हैं। दिन भर साथी किसानों के साथ बैठे-बैठे यही चर्चा होती रहती है कि बारिश कब होगी। हरीशभाई ने उनके खेत में तिल की फसल बोई थी। पास के गांव के किसान जयवंत जाडेजा ने अपने खेतों में कपास बोया था।
इलाके में आखिरी बार बारिश एक माह से ज्यादा समय पहले हुई थी। पहले जब बारिश हुई तो लगा कि इस साल बाढ़ के हालात न बन जाएं, लेकिन इसके बाद मानसून ऐसा रूठा कि बारिश का कोई पता नहीं। अब हालात यह हैं कि फसल बरबाद हो रही है।
गुजरात में इस साल मानसून के मौसम की सिर्फ 66 प्रतिशत ही बारिश हुई है। सबसे बुरे हालात सौराष्ट्र इलाके के ही हैं। मौसम विभाग ने कहा है कि इस महिने के अंत तक मानसून सीजन खत्म हो जाएगा और फिर बारिश की संभावना बहुत ही कम है। जहां बारिश पर खेती निर्भर है, वहां तो कम बारिश से परेशानी है ही, लेकिन सौराष्ट्र इलाके में हालत ज्यादा बुरे हैं।
सौराष्ट्र के बांधों में सिंचाई के लिए भी ज्यादा पानी नहीं बचा है। जामनगर जिले के बांध में सिर्फ पांच प्रतिशत ही पानी है। जूनागढ़ के बांधों में सिर्फ 13 प्रतिशत और पोरबंदर जिले के बांधों में सिर्फ 8 प्रतिशत पानी बचा है। पानी की कमी से कपास और तिलहन की फसलें ज्यादा बरबाद हुई हैं। किसानों को लग रहा है कि अब भी अगर अगले एक हफ्ते में बारिश होती है तो थोड़ी बहुत फसल बच सकती है, वरना बुवाई में हुए खर्च की भी भरपाई नहीं हो पाएगी।
गुजरात के सौराष्ट्र के जामनगर जिले के किसान हरीश सांघाणी पिछले कई दिनों से अपने खेतों में बारिश के इंतजार में समय काट रहे हैं। दिन भर साथी किसानों के साथ बैठे-बैठे यही चर्चा होती रहती है कि बारिश कब होगी। हरीशभाई ने उनके खेत में तिल की फसल बोई थी। पास के गांव के किसान जयवंत जाडेजा ने अपने खेतों में कपास बोया था।
इलाके में आखिरी बार बारिश एक माह से ज्यादा समय पहले हुई थी। पहले जब बारिश हुई तो लगा कि इस साल बाढ़ के हालात न बन जाएं, लेकिन इसके बाद मानसून ऐसा रूठा कि बारिश का कोई पता नहीं। अब हालात यह हैं कि फसल बरबाद हो रही है।
गुजरात में इस साल मानसून के मौसम की सिर्फ 66 प्रतिशत ही बारिश हुई है। सबसे बुरे हालात सौराष्ट्र इलाके के ही हैं। मौसम विभाग ने कहा है कि इस महिने के अंत तक मानसून सीजन खत्म हो जाएगा और फिर बारिश की संभावना बहुत ही कम है। जहां बारिश पर खेती निर्भर है, वहां तो कम बारिश से परेशानी है ही, लेकिन सौराष्ट्र इलाके में हालत ज्यादा बुरे हैं।
सौराष्ट्र के बांधों में सिंचाई के लिए भी ज्यादा पानी नहीं बचा है। जामनगर जिले के बांध में सिर्फ पांच प्रतिशत ही पानी है। जूनागढ़ के बांधों में सिर्फ 13 प्रतिशत और पोरबंदर जिले के बांधों में सिर्फ 8 प्रतिशत पानी बचा है। पानी की कमी से कपास और तिलहन की फसलें ज्यादा बरबाद हुई हैं। किसानों को लग रहा है कि अब भी अगर अगले एक हफ्ते में बारिश होती है तो थोड़ी बहुत फसल बच सकती है, वरना बुवाई में हुए खर्च की भी भरपाई नहीं हो पाएगी।
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