शहीद फतेह सिंह की बेटी मधु का कहना है कि उसके पिता हमेशा सच्चाई के लिए लड़ते थे।
गुरदासपुर:
पंजाब के गुरदासपुर जिले के एक छोटे से गांव में महिलाओं का समूह एक घर में एक ऐसे शख्स की शहादत पर इकट्ठा है जो अब पूरे देश का हीरो बन चुका है। ये सभी सूबेदार मेजर फतेह सिंह के बेटी के आसपास बैठी हुई हैं। शनिवार की सुबह आतंकियों के पठानकोट एयरबेस पर आतंकियों के हमले के दौरान उनका बहादुरी के साथ सामना करते हुए फतेह सिंह शहीद हो गए थे।
मुझे अपने पिता पर नाज है
अपने आप को संभालते हुए मधु कहती है, 'मुझे अपने पिता पर बहुत गर्व है।' वह बताती है कि किस तरह उसके पिता अपने घर से निकलकर एयरबेस का आतंकियों का मुकाबला करने पहुंचे थे। हमले के दौरान परिवार ने क्या देखा, इस बारे में भी उसने विस्तार से बताया। मधु ने NDTV को बताया, 'मेरे पिता ने यूनिफार्म पहनी और तेजी से घर से बाहर निकले।' फतेह सिंह वर्ष 1995 में हुई कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड और सिल्वर मैडल जीत चुके हैं। डिफेंस सिक्युरिटी कार्पस का हिस्सा होने के नाते वे पठानकोट बेस पर ड्यूटी पर तैनात थे। यह यूनिट ऐसे बुजुर्ग सदस्यों की है जो फिलहाल सक्रिय सेवा में नहीं हैं। जांबाज फतेह सिंह ने एक आतंकी की गन छीनी और उसे ढेर कर दिया। हालांकि बाद में वे भी शहीद हो गए।
पिता कहते थे, सच्चाई के लिए लड़ो
घर में बैठी फतेह की 25 साल की बेटी ने कहा, 'फायरिंग को आसानी से सुना जा सकता था। यहां तक कि खिड़की पर भी गोलियां लग रही थी। हम करीब दो घंटे तक पलंग के नीचे छुपे रहे। हालांकि जमीन ठंडी थी लेकिन हम बिस्तर पर बैठने का जोखिम नहीं ले सकते थे। बाद में हमने घर की लाइट्स बंद कर दी ताकि आतंकी अंदर नहीं देख सकें।' बाद में फायरिंग दोबारा शुरू हो गए और खिड़की जोर-जोर से हिलने लगी। पेशे से इंग्लिश टीचर मधु कहती है, 'मेरे पिता हमेशा कहते थे, सच्चाई के लिए लड़ो, अच्छे की मदद करो और बुराई को हराओ। उन्होंने अपने मूल्यों के लिए जान कुरबान कर दी।'
पाक सीमा से महज 25 किमी दूर है एयरबेस
गौरतलब है कि पठानकोट एयरबेस पाकिस्तान से लगी सीमा से महज 25 किलोमीटर दूर है। यह वायुसेना के मिग-21, फाइटर जेट विमान और लड़ाकू हेलीकॉप्टर्स रखने का ठिकाना है। सरकार के अनुसार, बंदूकधारियों को एयरबेस के उस क्षेत्र के अंदर दाखिल होने से रोक दिया गया जहां 'महत्वपूर्ण साजोसामान' पार्क किया गया है।
मुझे अपने पिता पर नाज है
अपने आप को संभालते हुए मधु कहती है, 'मुझे अपने पिता पर बहुत गर्व है।' वह बताती है कि किस तरह उसके पिता अपने घर से निकलकर एयरबेस का आतंकियों का मुकाबला करने पहुंचे थे। हमले के दौरान परिवार ने क्या देखा, इस बारे में भी उसने विस्तार से बताया। मधु ने NDTV को बताया, 'मेरे पिता ने यूनिफार्म पहनी और तेजी से घर से बाहर निकले।' फतेह सिंह वर्ष 1995 में हुई कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड और सिल्वर मैडल जीत चुके हैं। डिफेंस सिक्युरिटी कार्पस का हिस्सा होने के नाते वे पठानकोट बेस पर ड्यूटी पर तैनात थे। यह यूनिट ऐसे बुजुर्ग सदस्यों की है जो फिलहाल सक्रिय सेवा में नहीं हैं। जांबाज फतेह सिंह ने एक आतंकी की गन छीनी और उसे ढेर कर दिया। हालांकि बाद में वे भी शहीद हो गए।
पिता कहते थे, सच्चाई के लिए लड़ो
घर में बैठी फतेह की 25 साल की बेटी ने कहा, 'फायरिंग को आसानी से सुना जा सकता था। यहां तक कि खिड़की पर भी गोलियां लग रही थी। हम करीब दो घंटे तक पलंग के नीचे छुपे रहे। हालांकि जमीन ठंडी थी लेकिन हम बिस्तर पर बैठने का जोखिम नहीं ले सकते थे। बाद में हमने घर की लाइट्स बंद कर दी ताकि आतंकी अंदर नहीं देख सकें।' बाद में फायरिंग दोबारा शुरू हो गए और खिड़की जोर-जोर से हिलने लगी। पेशे से इंग्लिश टीचर मधु कहती है, 'मेरे पिता हमेशा कहते थे, सच्चाई के लिए लड़ो, अच्छे की मदद करो और बुराई को हराओ। उन्होंने अपने मूल्यों के लिए जान कुरबान कर दी।'
पाक सीमा से महज 25 किमी दूर है एयरबेस
गौरतलब है कि पठानकोट एयरबेस पाकिस्तान से लगी सीमा से महज 25 किलोमीटर दूर है। यह वायुसेना के मिग-21, फाइटर जेट विमान और लड़ाकू हेलीकॉप्टर्स रखने का ठिकाना है। सरकार के अनुसार, बंदूकधारियों को एयरबेस के उस क्षेत्र के अंदर दाखिल होने से रोक दिया गया जहां 'महत्वपूर्ण साजोसामान' पार्क किया गया है।
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